Naxal Free Bastar: बस्तर हुआ नक्सल मुक्त, अब आगे क्या? सरकार का पुनर्वास और विकास का प्लान

Naxal Free Bastar

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Naxal Free Bastar: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को आधिकारिक तौर पर नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा बस्तर को लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म (LWE) जिलों की सूची से बाहर करना, इस क्षेत्र के लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। दशकों से बंदूकें, हिंसा और डर से ग्रस्त रहे बस्तर की यह बदली हुई तस्वीर एक बड़ी सफलता है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि नक्सलवाद से मुक्ति के बाद यहां के लोगों की जिंदगी कैसे आगे बढ़ेगी और सरकार की इसके लिए क्या योजना है?

एक बड़ी सफलता: अबूझमाड़ मुठभेड़ और नक्सलियों का आत्मसमर्पण

हाल ही में, 21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके में हुई एक बड़ी मुठभेड़ ने नक्सल आंदोलन की कमर तोड़ दी। इस ऑपरेशन में 27 नक्सली मारे गए, जिनमें माओवादी संगठन का महासचिव बसवराजू भी शामिल था, जिस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था।

इस घटना के बाद से, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। हाल ही में सुकमा जिले में बटालियन नंबर 1 क्षेत्र में सक्रिय 18 नक्सलियों ने मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया, जिनमें चार हार्डकोर नक्सली भी शामिल थे, जिन पर 8-8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। इसके अतिरिक्त, तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में भी 64 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें से कई छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती गांवों से थे।

भविष्य की राह: पुनर्वास और विकास की योजनाएं

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति, इलवद पंचायत योजना और नियद नेल्ला नार योजना से प्रभावित होकर हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति की ओर लौट रहे हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करना और युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ना है।

1. नक्सली पुनर्वास नीति: यह नीति आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज में फिर से जुड़ने में मदद करती है। इसके तहत:

  • तुरंत ₹15,000 से ₹35,000 तक की एकमुश्त राशि दी जाती है।
  • जब तक नौकरी या रोजगार न मिले, तब तक हर महीने ₹6,000 तक का जीविका भत्ता मिलता है।
  • उन्हें स्किल ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे कोई काम या व्यवसाय शुरू कर सकें।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और मकान जैसी बुनियादी मदद भी प्रदान की जाती है।
  • यदि कोई नक्सली हथियार सौंपता है, तो उसे अलग से इनाम राशि भी मिलती है।

2. नियद नेल्ला नार योजना: यह योजना खास तौर पर आदिवासी और नक्सल प्रभावित इलाकों के गांवों के लिए है। गोंडी भाषा में इसका अर्थ है ‘हमारा गांव, हमारा गौरव’। इस योजना के तहत:

  • नक्सल मुक्त हुए गांवों को ‘गौरव ग्राम’ घोषित किया जाता है।
  • ऐसे गांवों को ₹1 करोड़ की विकास राशि मिलती है।
  • यह पैसा सड़क, स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी, मोबाइल नेटवर्क जैसे विकास कार्यों पर खर्च होता है, जिसमें गांव वालों से भी पूछा जाता है कि उन्हें क्या चाहिए।

3. इलवद पंचायत योजना: राज्य सरकार की यह योजना उन गांवों में विकास की गति तेज करने पर केंद्रित है, जिन्हें नक्सल मुक्त घोषित किया गया है।

  • जिस पंचायत को नक्सल मुक्त घोषित किया जाता है, उसे सीधे एक करोड़ रुपये दिए जाते हैं।
  • इस निधि का उपयोग गांव में सड़क, पानी, स्कूल, मोबाइल टावर, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं विकसित करने के लिए किया जाता है।

बड़ेसट्टी गांव एक सफल उदाहरण: सुकमा जिले का बड़ेसट्टी गांव इस योजना का पहला सफल उदाहरण है। 19 अप्रैल, 2025 को यहां बचे हुए सभी 11 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिसके बाद इसे नक्सल मुक्त घोषित किया गया। इस पंचायत को ₹1 करोड़ की विकास निधि मिली है, जिसका उपयोग पंचायत भवन, अस्पताल, स्कूल और अन्य बुनियादी सुविधाओं के विकास में किया जा रहा है।

वर्तमान स्थिति और आगे की चुनौती

हालांकि बस्तर नक्सल मुक्त हो गया है, छत्तीसगढ़ के कुछ जिले जैसे अबूझमाड़, बीजापुर और कांकेर अभी भी नक्सलियों की गतिविधियों से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाए हैं। हालांकि, इन जिलों में भी सुरक्षाबलों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है और ऑपरेशंस जारी हैं।

पिछले एक साल का आंकड़ा: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 में राज्य में 290 नक्सली मारे गए, 1090 गिरफ्तार हुए और 881 ने आत्मसमर्पण किया था। वहीं, 2025 में अब तक छत्तीसगढ़ में 105 नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश बस्तर संभाग में थे। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि सरकार सिर्फ बयानबाजी नहीं कर रही, बल्कि जमीनी स्तर पर सक्रिय है।

केंद्र सरकार ने नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए एंटी नक्सल ऑपरेशन शुरू किया है, जिसका लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह नक्सल मुक्त बनाना है। इस अभियान में सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाई गई है, और आधुनिक तकनीकों के साथ खुफिया जानकारी पर तेजी से कार्रवाई की जा रही है। केंद्र का मानना है कि अब यह लड़ाई अंतिम चरण में है और जीत बहुत करीब है।

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