Bihar Elections 2025: तेजस्वी का युवाओं को तोहफा या चुनावी जुमला? हर घर नौकरी का वादा चर्चा में
Bihar Elections 2025
Bihar Elections 2025 के ऐलान के साथ ही राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने अपने पहले बड़े वादे के साथ चुनावी पारी की शुरुआत की है। उन्होंने घोषणा की है कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है, तो बिहार के हर परिवार से कम से कम एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। इस घोषणा के साथ ही उन्होंने एक बार फिर युवाओं और रोजगार को अपनी प्राथमिकता में रखा है।
रोजगार बना चुनावी एजेंडा
गुरुवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने कहा, “जब सरकार बेरोजगारी भत्ता, पेंशन, मानदेय वृद्धि, फ्री बिजली और सीएम महिला रोजगार योजना जैसी घोषणाएं कर रही थी, तब मैंने स्पष्ट कर दिया था कि वे हमारी घोषणाओं की नकल कर रहे हैं। इसलिए अब चुनाव की घोषणा के बाद ही हम अपने पत्ते खोलेंगे।”
उनकी इस घोषणा से यह साफ संकेत मिलता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे रोजगार को ही मुख्य मुद्दा बनाएंगे।
युवाओं को साधने की कोशिश
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य बिहार के हर घर में रोजगार पहुँचाना है। उन्होंने कहा, “मेरा कर्म बिहार है, मेरा धर्म बिहारी। सरकारी नौकरी हर परिवार के जीवन स्तर को सुधारने और बिहार के सामाजिक-आर्थिक विकास को तेज करने में मदद करेगी।”
तेजस्वी ने इस बयान से युवाओं को यह भरोसा देने की कोशिश की है कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो सरकारी नौकरियों की बहाली में तेजी आएगी और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी।
राजनीतिक रणनीति और विपक्ष पर निशाना
तेजस्वी यादव ने सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान सरकार ने रोजगार को लेकर केवल घोषणाएं की हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार युवाओं के लिए ठोस नीति बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह वादा चुनाव में गेमचेंजर साबित हो सकता है। महागठबंधन की पिछली सरकार के दौरान भी उन्होंने सरकारी बहाली को लेकर अच्छी छवि बनाई थी, और अब उसी छवि को और मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।
क्या यह वादा दिलाएगा सीएम की कुर्सी?
तेजस्वी यादव के इस ऐलान के बाद अब बिहार की सियासत में रोजगार एक बार फिर केंद्र में आ गया है। हर घर में सरकारी नौकरी का यह वादा जहां युवाओं को आकर्षित कर सकता है, वहीं विपक्ष इस पर सवाल भी उठा सकता है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह वादा तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा पाएगा या यह सिर्फ एक राजनीतिक दांव साबित होगा।
