RPF और TTE की गुंडागर्दी: यात्रियों पर चलती ट्रेन में धक्का‑लात — रेलवे की जवाबदेही पर सवाल

RPF और TTE की गुंडागर्दी

RPF और TTE की गुंडागर्दी

दिल्ली से जोधपुर जा रही 22482 DEE–JU SF Express में 18 अगस्त 2025 को और ट्रेन संख्या 14006 में 28 सितंबर 2025 को आए दो अलग मामलों के वीडियोज़ सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जिनमें RPF के एक कॉन्स्टेबल व एक TTE द्वारा यात्रियों के साथ हिंसक व्यवहार किया गया दिखता है। दोनों ही घटनाओं ने यात्रियों और नागरिक संगठनों में चिंता बढ़ा दी है और रेलवे प्रशासन से त्वरित जवाबदेही की माँग उठ रही है।

घटना-1: चलती ट्रेन से यात्री को धकेलने की कोशिश (DEE–JU SF Express)

18 अगस्त 2025 को दिल्ली से जोधपुर जा रही सुपरफास्ट एक्सप्रेस (22482) में एक वीडियो सामने आया जिसमें RPF का एक कॉन्स्टेबल एक यात्री को चलती ट्रेन से धक्का देने की कोशिश करता हुआ दिखा। मामले को गंभीरता से लेते हुए रेलवे ने कॉन्स्टेबल को RPF रिज़र्व लाइन, दयाबस्ती में अटैच कर दिया है और डिविजन स्तर पर जांच शुरू कर दी गई है।

 

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घटना-2: टिकट विवाद में TTE द्वारा मारपीट (ट्रेन 14006, S7 कोच)

28 सितंबर 2025 को ट्रेन संख्या 14006 के S7 कोच में एक यात्री, जिसके पास पूरा टिकट नहीं था, TTE से बातचीत करते हुए फेसबुक लाइव कर रहा था।
वीडियो में देखा गया कि बहस के दौरान TTE गुस्से में आया और यात्री को लात-घूंसे मारने लगा। यह वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिससे यात्रियों में भय और असुरक्षा की भावना और गहराई।

 

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सवाल: क्या यात्री पर हिंसा रेलवे नियमों में जायज़ है?

इन दोनों मामलों ने रेलवे कर्मचारियों के अधिकारों और सीमाओं को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया है। यदि कोई यात्री बिना टिकट पाया जाता है, तो कानूनी प्रक्रिया के तहत चालान काटना उचित है, लेकिन शारीरिक हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकारी कर्मचारी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं, तो उनके खिलाफ आपराधिक और विभागीय कार्रवाई अनिवार्य है।

रेलवे प्रशासन की प्रतिक्रिया: आधी कार्रवाई, अधूरी जानकारी

प्राप्त जानकारी के अनुसार, रेलवे ने पहले मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए RPF जवान को ड्यूटी से हटाया है और जांच की घोषणा की है। हालांकि, दूसरे मामले (TTE वाली घटना) में अब तक कोई स्पष्ट रिपोर्ट या अनुशासनात्मक कार्रवाई सामने नहीं आई है। रेलवे प्रशासन की धीमी प्रतिक्रिया और पारदर्शिता की कमी पर भी अब सवाल उठ रहे हैं।

 

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