RSS कार्यक्रम में शामिल हुए Arvind Netam, बोले – ‘अब धर्मांतरण रोकने के लिए डीलिस्टिंग पर सहमत’

Arvind Netam attended the RSS program

Arvind Netam attended the RSS program

रायपुर। प्रमुख आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री Arvind Netam ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में कई अहम मुद्दों पर बयान दिया। नेताम ने RSS प्रमुख मोहन भागवत के साथ हुई मुलाकात को सार्थक बताते हुए संघ की कार्यशैली की खुलकर सराहना की और कई विषयों पर अपनी राय जाहिर की।

संघ के कार्यक्रम में पहली बार हुए शामिल

अरविंद नेताम ने बताया कि यह पहली बार था जब उन्होंने RSS के किसी कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि इस मौके ने उन्हें संघ को नजदीक से समझने का अवसर दिया। मोहन भागवत से हुई बातचीत को नेताम ने “खुली और उपयोगी” करार दिया और बताया कि दोनों के बीच आदिवासी समाज और संघ के बीच वैचारिक दूरी कम करने के उपायों पर गंभीर चर्चा हुई।

‘अब संघ आदिवासी शब्द का इस्तेमाल कर रहा है’

प्रेस वार्ता के दौरान नेताम ने लंबे समय से संघ द्वारा आदिवासी समाज को ‘वनवासी’ कहे जाने पर अपनी असहमति भी जताई। उन्होंने कहा, “हमने संघ से कहा था कि हमें ‘वनवासी’ नहीं, ‘आदिवासी’ कहा जाए क्योंकि यही हमारी असल पहचान है। अब संघ ने इस बात को माना है और आदिवासी शब्द का उपयोग करने लगा है।”

डीलिस्टिंग पर बदली राय, धर्मांतरण को बताया खतरा

अरविंद नेताम ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि पहले वे अनुसूचित जनजातियों को डीलिस्ट करने (ST सूची से बाहर करने) के विरोध में थे, लेकिन अब उन्होंने इस पर अपनी राय बदली है। उन्होंने कहा, “धर्मांतरण को रोकने के लिए अब हमें इस पर सहमति देनी पड़ी है।” नेताम के इस बयान को आदिवासी समाज के भीतर चल रहे धार्मिक और सांस्कृतिक संघर्षों से जोड़कर देखा जा रहा है।

आदिवासी समाज के संरक्षण की उठाई मांग

प्रेस वार्ता में नेताम ने जल, जंगल और जमीन जैसे मुद्दों पर भी अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “आदिवासी समाज के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में जो भी संगठन या संस्था हमारी मदद करेगा, हम उससे सहयोग लेंगे।” उन्होंने RSS से अपील की कि वह आदिवासी समाज की एकता और आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की दिशा में ठोस प्रयास करे।

कांग्रेस पर साधा निशाना

नेताम ने अपने बयान में कांग्रेस पार्टी को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में लाए गए आर्थिक उदारीकरण ने आदिवासी समाज की जड़ों को हिला दिया था। “जब देश के आदिवासी समाज की सारी आशाएं टूट जाती हैं, तब एकमात्र उम्मीद संघ जैसे संगठनों से ही बचती है,” उन्होंने कहा।

Youthwings