छत्तीसगढ़ के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी, छात्रों ने जड़ा स्कूल पर ताला – बाहर बैठकर हो रही पढ़ाई

छत्तीसगढ़ में एक ओर जहां 16 जून से शाला प्रवेशोत्सव की शुरुआत के साथ नए शिक्षा सत्र का आगाज हो चुका है, वहीं दूसरी ओर राज्य के कई स्कूल शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। बलौदाबाजार जिले के रंगोरा गांव स्थित एक स्कूल में पिछले 5 दिनों से तालाबंदी चल रही है। नाराज छात्र-छात्राएं और ग्रामीण शिक्षक नियुक्ति की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान बच्चे स्कूल के बाहर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
रंगोरा स्कूल में 16 जून से बंद ताले, बच्चे पढ़ रहे हैं बाहर
रंगोरा स्कूल के छात्रों ने शिक्षकों की कमी से परेशान होकर स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया है। बीते 5 दिनों से न तो स्कूल खुला है और न ही कोई पढ़ाई हो पा रही है। हालांकि छात्र-छात्राएं पढ़ाई छोड़ना नहीं चाहते, इसलिए वे बाहर बैठकर खुद ही किताबें लेकर पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। गुरुवार को जिला शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी स्थिति को नियंत्रित करने पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों और छात्रों ने अधिकारियों से साफ कह दिया कि हमें केवल आश्वासन नहीं, परमानेंट शिक्षक चाहिए।
बालोद के दारूटोला में भी बच्चों ने किया विरोध
शिक्षकों की कमी केवल बलौदाबाजार तक सीमित नहीं है। बालोद जिले के डौंडी ब्लॉक के दारूटोला गांव में भी शाला प्रवेशोत्सव का बहिष्कार किया गया। यहां के ग्रामीण और बच्चे स्कूल में शिक्षक की नियुक्ति की मांग को लेकर स्कूल के बाहर धरने पर बैठ गए थे। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने स्थिति का जायजा लिया, लेकिन ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि जब तक शिक्षक नहीं मिलते, तब तक स्कूल नहीं खुलने देंगे।
धमतरी के बोकराबेड़ा में प्रधान पाठक को हटाने की मांग
इसी प्रकार, धमतरी जिले के नगरी ब्लॉक के बोकराबेड़ा गांव में भी 16 जून को स्कूल बंद कर दिया गया था। यहां छात्रों और उनके परिजनों ने स्कूल में प्रदर्शन कर प्रधान पाठक को हटाने की मांग की। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान पाठक छात्रों के साथ अभद्र व्यवहार करता है, जिससे बच्चों का मानसिक तनाव बढ़ रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उन्हें एक संवेदनशील और योग्य प्रधान पाठक की आवश्यकता है।
शिक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
राज्य सरकार की ओर से शिक्षा को लेकर भले ही योजनाएं बनाई जा रही हों, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षक न होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। परिजन और ग्रामीण लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।
छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में चल रही यह स्थिति राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां एक ओर बच्चे पढ़ाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया धीमी नजर आ रही है। यह जरूरी हो गया है कि सरकार जल्द से जल्द स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति कर इन बच्चों का भविष्य संवारने की दिशा में ठोस कदम उठाए।