Rules For Touching Shivling: शिवलिंग का स्पर्श करने के नियम, कौन छू सकता है और कैसे करें अभिषेक? जानें धार्मिक मर्यादाएं

हिंदू धर्म में शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और इसे स्पर्श करना अथवा अभिषेक करना एक अत्यंत पवित्र कार्य होता है। लेकिन इसके साथ कुछ धार्मिक नियम और मर्यादाएं भी जुड़ी होती हैं, जिन्हें जानना और उनका पालन करना आवश्यक है। यह नियम न केवल आस्था को अनुशासन से जोड़ते हैं, बल्कि भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।
शिवलिंग को कब छूना चाहिए?
- ब्रह्म मुहूर्त (प्रातःकाल 4 से 6 बजे के बीच) में शिवलिंग को जल, दूध, या पंचामृत से स्नान कराना शुभ माना जाता है।
- सावन का महीना, महाशिवरात्रि और सोमवार के दिन शिवलिंग पर अभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
शिवलिंग को कैसे छूना चाहिए?
- स्पर्श से पूर्व स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- दाहिने हाथ से जल अर्पण करें और दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
- बेलपत्र, धतूरा, आक, गंगाजल आदि भगवान शिव को चढ़ाना उचित माना जाता है।
- धार्मिक मान्यता अनुसार, केवल योनि (पीठिका) भाग पर जल चढ़ाना चाहिए, और लिंग भाग को स्पर्श नहीं करना चाहिए। यह विनम्रता और मर्यादा का प्रतीक माना जाता है।
कौन कर सकता है शिवलिंग का स्पर्श?
- पुरुष श्रद्धालु शिवलिंग का स्पर्श कर सकते हैं।
- स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान शिवलिंग को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- संयमित और ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले व्रती साधक शिवलिंग के पूजन और अभिषेक के लिए अधिक योग्य माने जाते हैं।
नियमों का पालन क्यों जरूरी है?
शिवलिंग का पूजन केवल भाव नहीं, शुद्धता और अनुशासन का प्रतीक भी है। इन नियमों के पालन से व्यक्ति की भक्ति शुद्ध और प्रभावशाली होती है, और उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
अतः शिवलिंग का पूजन करते समय श्रद्धा के साथ इन धार्मिक मर्यादाओं का पालन अवश्य करें।