शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण: 6 जिलों में काउंसलिंग प्रक्रिया पूर्ण, 1500 से अधिक शिक्षकों को मिली नई पोस्टिंग…

रायपुर: राज्य शासन के दिशा-निर्देशों के तहत छत्तीसगढ़ के छह जिलों—कोरबा, सुकमा, महासमुंद, गरियाबंद, बलौदाबाजार और सूरजपुर—में 1498 अतिशेष सहायक शिक्षकों, प्रधान पाठकों और व्याख्याताओं की काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अब तक 1500 से अधिक शिक्षकों को नई पदस्थापना दी जा चुकी है, जिससे स्पष्ट होता है कि शासन युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को सफलतापूर्वक क्रियान्वित कर रहा है।
इन जिलों में प्रक्रिया जारी :
अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग वरिष्ठता के आधार पर की गई, जिसमें शिक्षकों को उपलब्ध रिक्त पदों में से अपनी पसंद के विद्यालय का चयन करने का अवसर दिया गया। फिलहाल मुंगेली, राजनांदगांव, बालोद और दुर्ग जिलों में काउंसलिंग की प्रक्रिया जारी है।
166 स्कूलों को समायोजित किया जाएगा:
राज्य के कुल 10,463 स्कूलों में से केवल 166 स्कूलों को समायोजित किया जाएगा। इनमें से 133 स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां छात्रों की संख्या 10 से कम है और एक किलोमीटर के दायरे में दूसरा विद्यालय पहले से संचालित है। शहरी क्षेत्रों के 33 ऐसे स्कूल हैं, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 30 से कम है और 500 मीटर के भीतर अन्य स्कूल उपलब्ध हैं। इन स्कूलों को समायोजन में लिया गया है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जा सके।
स्कूल नहीं होंगे बंद केवल आवश्यक समायोजन किया जा रहा :
यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी स्थिति में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
बाकी के 10,297 स्कूल पहले की तरह ही पूरी क्षमता से संचालित होते रहेंगे। इनमें केवल प्रशासनिक और शैक्षणिक दृष्टि से आवश्यक समायोजन किया जा रहा है। स्कूल भवनों का उपयोग यथावत जारी रहेगा और जरूरत के अनुसार वहां शिक्षकों की भी उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना उद्देश्य:
इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ़ करना है। शासन का प्रयास है कि जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम है और संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है, उन्हें निकटवर्ती बेहतर स्कूलों के साथ समायोजित किया जाए। इससे बच्चों को एक बेहतर शैक्षणिक माहौल, अनुभवी और विषय-विशेषज्ञ शिक्षक, लाइब्रेरी, लैब, कंप्यूटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। साथ ही, शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में किया जा रहा बदलाव:
इस समायोजन से उन बच्चों को लाभ मिलेगा जो अब तक सीमित संसाधनों और शिक्षकविहीन स्कूलों में पढ़ रहे थे। वे अब नजदीकी बेहतर स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में यह बदलाव शिक्षा व्यवस्था को और सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।