युक्तियुक्तकरण विवाद: शिक्षकों को 13 जून तक देना होगा अभ्यावेदन, समिति 16 जून तक करेगी निपटारा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) को लेकर उठे विवाद पर हाईकोर्ट ने अहम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से आपत्ति है, वे 13 जून तक अपना अभ्यावेदन (प्रस्ताव/अपील) जिला स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत करें। इस समिति की अध्यक्षता संबंधित जिले के कलेक्टर करेंगे, जबकि सचिव के रूप में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यरत होंगे। समिति को 16 जून तक हर हाल में इन अभ्यावेदनों का निराकरण करना होगा।

दबाव की कार्रवाई नहीं होगी – कोर्ट की सख्ती:

हाईकोर्ट की सिंगल बेंच, न्यायमूर्ति रविंद्र अग्रवाल ने यह भी निर्देश दिया है कि सुनवाई पूरी होने तक उन शिक्षकों पर किसी प्रकार की दवाबपूर्ण या दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी जिन्होंने अब तक नई जगह पदस्थापना के तहत ज्वाइन नहीं किया है। हालांकि, जिन्होंने ज्वाइन कर लिया है, उन्हें केवल दावा-आपत्ति दर्ज कराने की अनुमति होगी।

युक्तियुक्तकरण में नियमों का उल्लंघन, 34 याचिकाएं दायर:

हाईकोर्ट में दायर 34 से अधिक याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई है। शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें गलत आंकड़ों के आधार पर “अतिशेष” घोषित कर दूरदराज के स्कूलों में भेज दिया गया है। कई मामलों में छात्र संख्या की गड़बड़ी के आधार पर तबादले किए गए हैं।

हेड मास्टर फिर से शिक्षक?:

एक बड़ा मुद्दा यह भी उठाया गया है कि मर्जर (विलय) की प्रक्रिया के बाद कई हेड मास्टरों को फिर से सामान्य शिक्षक बना दिया गया है, जिससे उनके पद ही समाप्त हो रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 2 अगस्त 2024 को युक्तियुक्तकरण संबंधी आदेश का विरोध हुआ था, लेकिन अब 25 अप्रैल 2025 को नया आदेश बिना आवश्यक संशोधन के लागू कर दिया गया है। इसका असर यह हुआ है कि प्राइमरी और मिडिल स्कूल के विलय में प्रधान पाठकों को सहायक शिक्षक बना दिया गया है, जबकि मिडिल व हायर सेकेंडरी के संयुक्त स्कूलों में हेड मास्टरों को शिक्षक का दर्जा दे दिया गया है।

बिना संशोधन कराई काउंसिलिंग:

शिक्षकों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शिक्षक व प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती और पदोन्नति नियम 2019 के खिलाफ है, जिसमें पदोन्नति संबंधी स्पष्ट प्रावधान हैं। संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत राज्यपाल द्वारा बनाए गए इन नियमों में संशोधन किए बिना ही शिक्षा विभाग ने काउंसिलिंग करा दी, जो गलत है।

संघ का विरोध, हाईकोर्ट की शरण:

प्रदेश शिक्षक संघ के अध्यक्ष संजय कुमार तिवारी और दुर्ग जिले के 34 शिक्षकों ने इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट की शरण ली है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन ने मनमाने ढंग से पदस्थापना की है, जिससे शिक्षक मानसिक और व्यावसायिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं।

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