किसानों की उम्मीदों पर बारिश ने फेरा पानी: खेतों में जलभराव, कृषि कार्य बाधित

छत्तीसगढ़ में नवतपा के दूसरे दिन मौसम ने अचानक करवट ली और तेज गरज-चमक के साथ भारी बारिश हुई। इस बारिश ने जहां आम लोगों को भीषण गर्मी से राहत दी, वहीं किसानों के लिए यह मुसीबत बन गई है। सामान्यतः मानसून 15 जून के आसपास दस्तक देता है, लेकिन इस बार मई के अंत में ही मानसून पूर्व बारिश होने से किसानों की सारी तैयारियां बाधित हो गई हैं।

खेतों में जलभराव से रुके कृषि कार्य

हर वर्ष किसान समय से पहले खेतों की सफाई, जुताई और खाद डालने जैसे कार्य पूरे कर लेते हैं ताकि समय पर बुवाई हो सके। लेकिन इस बार अचानक बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया है, जिससे न तो सफाई हो पा रही है और न ही खेतों में ट्रैक्टर चलाना संभव हो रहा है। मिट्टी अत्यधिक गीली हो गई है, जिससे खाद डालने का काम भी रुक गया है।

कीट और खरपतवार नियंत्रण पर संकट

किसानों का कहना है कि मानसून पूर्व जुताई का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य यह भी होता है कि मिट्टी में मौजूद कीट और खरपतवार तेज धूप में नष्ट हो जाएं। इससे भूमि की उर्वरता बनी रहती है। लेकिन समय से पहले बारिश ने जुताई की प्रक्रिया ही रोक दी है, जिससे अब खेतों में खरपतवार और कीटों के बढ़ने की आशंका बन गई है।

गोबर खाद डालना भी हुआ मुश्किल

इस समय किसान खेतों में गोबर खाद और अन्य जैविक खाद डालते हैं ताकि मिट्टी को पोषण मिल सके। लेकिन भारी नमी और जलभराव के कारण यह कार्य भी ठप हो गया है। किसानों को चिंता है कि यदि अगले कुछ दिनों तक धूप नहीं निकली, तो उनकी बुवाई की योजना बुरी तरह प्रभावित होगी।

किसानों को तेज धूप का इंतजार

अब किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं और तेज धूप निकलने की उम्मीद कर रहे हैं। जब तक अच्छी धूप नहीं निकलेगी, तब तक मिट्टी सूखेगी नहीं और न ही खेती से जुड़ा कोई काम हो सकेगा।

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