बिहार में नक्सलियों पर शिकंजा कसता जा रहा, ड्रोन से निगरानी और स्पेशल एक्शन प्लान के साथ सुरक्षा बलों का जोरदार अभियान

Action Against Naxalism

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बिहार के नक्सल प्रभावित इलाकों में अब नक्सलियों के दिन लदते नजर आ रहे हैं। गया जिले में पुलिस, सीआरपीएफ और एसएसबी के संयुक्त अभियान के चलते नक्सली संगठन बुरी तरह बिखरते जा रहे हैं। ड्रोन और अत्याधुनिक तकनीक की मदद से जंगलों और पहाड़ियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। हर मूवमेंट पर पुलिस की सीधी नजर है और नक्सलियों को छिपने का मौका नहीं मिल रहा।

गया के एसएसपी आनंद कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए एक विशेष एक्शन प्लान तैयार किया है। इस बार रणनीति पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक है और अभियान में ड्रोन कैमरों, सर्विलांस उपकरणों और खुफिया सूचना तंत्र की बड़ी भूमिका है।

इनामी नक्सली ने तोड़ा मनोबल, किया आत्मसमर्पण

20 जून को तीन लाख का इनामी नक्सली अखिलेश सिंह भोक्ता उर्फ पतरका ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। यह नक्सली कई गंभीर मामलों में वांछित था और लंबे समय से पुलिस को चकमा दे रहा था। आत्मसमर्पण के पीछे पुलिस का निरंतर दबाव, पहाड़ों में लगातार गश्त और ठिकानों पर रेड मुख्य वजह मानी जा रही है।

2025 की शुरुआत से अब तक 30 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार या आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

ड्रोन से पहाड़ियों और जंगलों में कड़ी निगरानी

गया जिले के डुमरिया, इमामगंज, छकरबंधा, लुटुआ और बाराचट्टी जैसे इलाकों में नक्सली गतिविधियां ज्यादा देखने को मिलती थीं। अब इन क्षेत्रों में ड्रोन कैमरों की मदद से 24×7 निगरानी की जा रही है। पुलिस जंगलों में गश्त बढ़ा चुकी है, जहां पहले पहुंचना भी मुश्किल था।

एसएसपी आनंद कुमार ने कहा कि “अब पुलिस नक्सलियों की मांद में घुसकर कार्रवाई कर रही है और संगठनों को जड़ से खत्म करने का प्रयास चल रहा है।”

संयुक्त अभियान से नक्सलियों की कमर टूटने लगी

पुलिस, सीआरपीएफ, एसएसबी और एसटीएफ के संयुक्त ऑपरेशन के चलते नक्सली संगठनों का नेटवर्क लगातार कमजोर हो रहा है। सर्च ऑपरेशनों की रफ्तार तेज कर दी गई है और हर संभावित ठिकाने की गहन तलाशी ली जा रही है।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि अब नक्सलियों के पास भागने या छिपने के ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। हर हरकत पर नजर और अचानक दबिश के कारण वे असहज महसूस कर रहे हैं। कई नक्सली अब आत्मसमर्पण की राह पर हैं।

युवाओं को गुमराह होने से बचाने की पहल

नक्सल विरोधी अभियान के साथ-साथ प्रशासन स्थानीय युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने की भी कोशिश कर रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास की योजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है ताकि भविष्य में कोई भी युवा हिंसा की राह न पकड़े।

अधिकारियों के अनुसार, सरकार का उद्देश्य केवल नक्सलियों को पकड़ना नहीं, बल्कि क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास स्थापित करना है।

बिहार के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। सुरक्षा बलों की नई रणनीति, टेक्नोलॉजी आधारित निगरानी और युवाओं को जोड़ने की नीति— इन तीनों के समन्वय से नक्सली संगठन टूटने की कगार पर हैं। आने वाले समय में नक्सलियों के लिए अब बिहार में पनाह पाना और मुश्किल होने वाला है।

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