मितानिनों का हड़ताल: पूर्व सीएम भूपेश बघेल पहुंचे तूता धरना स्थल, धरने को दिया समर्थन

रायपुर | छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य मितानिनें इन दिनों सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कर रही हैं। यह धरना राजधानी के नया रायपुर स्थित तूता धरना स्थल पर हो रहा है, जिसमें प्रदेशभर की मितानिनें चरणबद्ध तरीके से शामिल हो रही हैं। मितानिनों की तीन सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू हुए इस आंदोलन को अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी समर्थन मिल गया है।

भूपेश बघेल धरनास्थल पर पहुंचे, मितानिनों से की मुलाकात

पूर्व सीएम भूपेश बघेल शुक्रवार को तूता धरना स्थल पहुंचे और बड़ी संख्या में मौजूद मितानिनों से मुलाकात की। उन्होंने आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि सरकार को मितानिनों की वाजिब मांगों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

क्या हैं मितानिनों की प्रमुख मांगें?

मितानिन संघ की प्रवक्ता सपना चौबे ने बताया कि: सरकार ने वादा किया था कि मितानिनों, प्रशिक्षकों, हेल्प डेस्क फैसिलिटेटरों और कोऑर्डिनेटरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत लाया जाएगा। लेकिन यह वादा आज तक पूरा नहीं हुआ। सरकार की अनदेखी और देरी से मितानिनों में गहरा असंतोष है। अब हम मजबूरी में आंदोलन का रास्ता अपना रहे हैं।

संभागवार आंदोलन का कार्यक्रम

मितानिन संघ ने पूरे प्रदेश में आंदोलन को संभागवार चरणबद्ध तरीके से आयोजित करने का निर्णय लिया है। कार्यक्रम इस प्रकार है: रायपुर संभाग, दुर्ग संभाग, बिलासपुर संभाग, सरगुजा संभाग, बस्तर संभाग हर संभाग की मितानिनें निर्धारित तिथि पर धरने में भाग लेंगी।

हड़ताल से प्रभावित हो सकती हैं स्वास्थ्य सेवाएं

मितानिन संघ ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार सभी मांगे नहीं मानती। स्वास्थ्य सेवाओं में मितानिनों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इस हड़ताल का सीधा असर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ सकता है।

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