माओवादी नेता देवजी की पोती सुमा ने लिखा भावुक पत्र– घर लौटने की लगाई गुहार, सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर उठाए सवाल

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ क्षेत्र में हाल ही में मुठभेड़ में नक्सली कमांडर बशव राजू के मारे जाने के बाद माओवादी संगठन में महासचिव की दौड़ में शामिल सेंट्रल कमेटी मेंबर (सीसी मेंबर) थिपिरि तिरुपति उर्फ देवजी एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। इस बार वजह राजनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक भावनाएं हैं। देवजी की पोती सुमा ने एक भावुक पत्र और वीडियो संदेश के जरिए अपने दादा से घर लौट आने की अपील की है। तेलुगू भाषा में जारी इस पत्र और वीडियो ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

“दादाजी, हमें आपकी जरूरत है, घर लौट आइए”

सुमा ने पत्र की शुरुआत बेहद भावनात्मक अंदाज़ में की है। उन्होंने लिखा है, “प्रिय दादाजी, आपको मेरा प्रणाम। मुझे हमेशा आपसे मिलने का मन करता है, लेकिन दुर्भाग्यवश वह मौका मुझे कभी नहीं मिला। जब भी मैं मीडिया में आपके बारे में पढ़ती हूं, मुझे गर्व और दर्द दोनों का एहसास होता है।”

सुमा ने बताया कि उनका पूरा परिवार वर्षों से देवजी का इंतजार कर रहा है। “हम सब चाहते हैं कि आप इन कठिन परिस्थितियों में घर वापस आ जाएं। आपने बहुत कुछ सहा है, बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन अब समय है कि आप परिवार की ओर लौटें,” उन्होंने पत्र में लिखा।

सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर उठाए सवाल

भावनात्मक अपील के साथ ही सुमा ने सुरक्षा बलों की ओर से चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन कगार’ पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि माओवादियों पर इतनी सख्त कार्रवाई क्यों की जा रही है, जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश से देश में घुसपैठ करने वालों पर वैसी कड़ी कार्रवाई नहीं होती।

सुमा ने यह भी लिखा, “क्या इसलिए कि माओवादी नेताओं ने अपने सुख-सुविधाओं को छोड़ जंगल का रास्ता अपनाया? क्या इसलिए कि वे बंगलों की जगह टेंट में रहते हैं? अगर उन्होंने अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई है तो क्या वह गलत है?”

“मिठाई बांटना और हत्याएं देखना पीड़ा देता है”

पत्र में सुमा ने यह भी लिखा कि जब वह देखती हैं कि माओवादियों की हत्या के बाद लोग मिठाई बांट रहे हैं, तो यह दृश्य उन्हें बहुत कष्ट देता है। उन्होंने लिखा, “मुझे समझ नहीं आता कि यह किसका सम्मान है – मारे गए लोगों का या मारने वालों का? ये हालात बेहद दुखद हैं।”

“हम दरवाजे पर खड़े हैं, आपका इंतज़ार कर रहे हैं”

पत्र के अंत में सुमा ने मार्मिक अपील करते हुए लिखा, “हमारा परिवार आज भी दरवाजे पर खड़ा है, आपका इंतज़ार कर रहा है। हम आपको प्रेम से आमंत्रित कर रहे हैं – आप वापस आ जाइए दादाजी। अब बहुत हो चुका। परिवार को आपकी ज़रूरत है।”

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