इंजीनियरिंग की पढ़ाई से बर्बरता तक, 75 जवानों का हत्यारा, जानें कौन है 1 करोड़ का इनामी बसवराजू खूंखार नक्सली

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के घने जंगलों में सुरक्षाबलों को नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कामयाबी मिली है। आज हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 30 नक्सलियों को ढेर कर दिया, जबकि एक जवान वीरगति को प्राप्त हुआ। इस ऑपरेशन के दौरान जवानों ने भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किए हैं। मारे गए नक्सलियों में 1 करोड़ रुपये का इनामी और नक्सली संगठन का महासचिव बसवा राजू भी शामिल है। वह नक्सलियों की पोलित ब्यूरो का सदस्य और शीर्ष कमांडर था। उसकी मौत को सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी रणनीतिक सफलता माना जा रहा है। आइए, जानते हैं कौन था बसवा राजू….
बसवराजू कौन था?
बसवा राजू, जिसे नंबाला केशव राव के अलावा गगन्ना, विजय, नरसिम्हा रेड्डी, प्रकाश और कृष्णा जैसे कई नामों से जाना जाता था, 2018 में गणपति की जगह सीपीआई (माओवादी) का महासचिव बना था। करीब 70 साल के बसवा राजू का मूल निवास आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेटा गांव में था। वह पिछले लगभग 35 वर्षों से माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति का सक्रिय सदस्य रहा। देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बने इस खूंखार नक्सली पर सरकार ने 1.5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।
राजू ने की थी इंजीनियरिंग की पढ़ाई:
राजू ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) वारंगल से बीटेक की पढ़ाई की थी। वर्ष 1970 में उसने अपना घर छोड़ दिया और नक्सली गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हो गया। मगर माओवादी विचारधारा से जुड़ने से पहले राजू एक होनहार खिलाड़ी था—स्कूल और जूनियर कॉलेज के दिनों में वह कबड्डी खेला करता था।नक्सली कैडर में राजू को सबसे शिक्षित और रणनीतिक सोच वाला नेता माना जाता था। वह देश के कम से कम पाँच राज्यों में नक्सली नेटवर्क और गतिविधियों का संचालन कर रहा था।
दहला देने वाले हमलों का मास्टरमाइंड
6 अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार क्षेत्र में नक्सलियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के काफिले पर घात लगाकर भीषण हमला किया था। इस हमले में 76 CRPF जवानों सहित छत्तीसगढ़ पुलिस का एक अधिकारी शहीद हुआ था। इसके बाद, 25 मई 2013 को झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले को निशाना बनाकर नक्सलियों ने हमला किया, जिसमें पार्टी के कई शीर्ष नेताओं की मौत हो गई थी। इन दोनों जघन्य हमलों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने में बसव राजू की अहम भूमिका मानी जाती है।
IED बनाने में माहिर था राजू:
2018 में राजू ने मुप्पला लक्ष्मण राव, जिन्हें गणपति के नाम से जाना जाता है, की जगह CPI (माओवादी) के महासचिव का पद संभाला था। गणपति पार्टी के पहले महासचिव थे। राजू के संबंध लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) जैसे उग्रवादी संगठनों से भी माने जाते थे, और वह उनसे रणनीतिक सहयोग के लिए पहचाना जाता था। उसे एक विस्फोटक विशेषज्ञ के रूप में भी जाना जाता था। वह सुरक्षा बलों पर घातक हमले करने के लिए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) तैयार करने में माहिर था।
कई राज्यों की पुलिस को थी तलाश:
खूंखार नक्सली बसव राजू नक्सल संगठन के पोलित ब्यूरो का सदस्य और महासचिव था, जिस पर सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। वह संगठन के शीर्ष नेतृत्व में शामिल था और गणपति के बाद पूरे नक्सल नेटवर्क की कमान संभाल रहा था। रणनीतिक योजनाएं बनाना, संगठन के भीतर निर्णय लेना और हथियारों की आपूर्ति सुनिश्चित करना उसकी मुख्य जिम्मेदारियों में शामिल था। जानकारी के मुताबिक, देश के 16 राज्यों की पुलिस उसे पकड़ने की लगातार कोशिश कर रही थी।