भारत के सांसद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विदेशों में रखेंगे देश का पक्ष, ओवैसी-थरूर समेत कई नेता होंगे शामिल

पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों पर भारत की एयर स्ट्राइक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अब केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी और भारत का पक्ष अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावी ढंग से रखने के लिए सांसदों का बहुदलीय डेलिगेशन विदेश भेजने का निर्णय लिया है। इस मिशन के तहत भारत के सांसद अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, कतर और यूएई की यात्रा करेंगे।

सांसदों का बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल होगा रवाना

इस डेलिगेशन में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद शामिल होंगे। अब तक जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार भाजपा से अनुराग ठाकुर और अपराजिता सारंगी, कांग्रेस से शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और अमर सिंह, AIMIM से असदुद्दीन ओवैसी और NCP (SP) से सुप्रिया सुले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे।

अभी डेलिगेशन में जाने वाले सांसदों की संख्या का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह संख्या 30 से अधिक हो सकती है। प्रतिनिधिमंडल को 8 समूहों में बांटा जाएगा, जिनमें प्रत्येक ग्रुप में 5-6 सांसद, विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी और एक सरकारी प्रतिनिधि शामिल होंगे।

विदेश मंत्रालय की तैयारी और सांसदों को निर्देश

विदेश मंत्रालय (MEA) ने सांसदों को 22-23 मई तक 10 दिनों के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। सांसदों को पासपोर्ट और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखने को कहा गया है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पूरे दौरे का समन्वय कर रहे हैं।

जयराम रमेश ने की पुष्टि, कांग्रेस भी डेलिगेशन का हिस्सा

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस बात की पुष्टि की है कि कांग्रेस पार्टी इस डेलिगेशन का हिस्सा होगी। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का रुख दुनिया को बताने के लिए सांसदों का डेलिगेशन विदेश भेजने का निर्णय लिया है। कांग्रेस इसका समर्थन करेगी, क्योंकि हम भाजपा की तरह राष्ट्रीय सुरक्षा को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाते।”

ऑपरेशन सिंदूर: भारत की एयर स्ट्राइक

गौरतलब है कि 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoJK) में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस ऑपरेशन की जानकारी 8 मई को हुई सर्वदलीय बैठक में दी थी। उन्होंने बताया था कि इस कार्रवाई में कम से कम 100 आतंकी मारे गए।

ऐसे पहले भी हो चुके हैं डेलिगेशन

यह कोई पहला मौका नहीं है जब सरकार ने बहुदलीय डेलिगेशन विदेश भेजने का निर्णय लिया हो।

  • 1994 में प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में UNHRC जिनेवा में डेलिगेशन भेजा था। उस समय पाकिस्तान, भारत के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन प्रस्ताव लाने वाला था, जिसे भारत ने सफलतापूर्वक टाल दिया था।
  • 2008 के मुंबई हमलों के बाद, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों को पाकिस्तान के आतंकी लिंक को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जानकारी देने विदेश भेजा था।

 

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