छत्तीसगढ़ कांग्रेस में नक्सल नीति को लेकर फूट, शांति वार्ता बनाम एक्शन पर नेताओं में मतभेद

रायपुर। नक्सलवाद जैसे संवेदनशील और अहम मुद्दे पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भीतर गहरा मतभेद सामने आया है। जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज नक्सलियों से शांति वार्ता की वकालत कर रहे हैं, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव और धनेंद्र साहू नक्सलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को ही एकमात्र रास्ता बता रहे हैं। यह विरोधाभास महज 12 घंटों के भीतर खुलकर सामने आ गया।

धनेंद्र साहू और विजय शर्मा की बातचीत से शुरू हुआ विवाद

इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और पूर्व पीसीसी चीफ धनेंद्र साहू की फोन पर हुई बातचीत से हुई, जिसे विजय शर्मा ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दिया। इस कॉल में धनेंद्र साहू सरकार की नक्सल नीति का समर्थन करते नज़र आए।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पीसीसी चीफ दीपक बैज ने इसे “पॉलिटिकल स्टंट” करार दिया और कहा कि यह लोकप्रियता बटोरने की कोशिश है। उन्होंने तीखा हमला करते हुए कहा,
“अगर हिम्मत है तो गृह मंत्री मुझे कॉल करें और उसकी रिकॉर्डिंग सार्वजनिक करें।”

शांति वार्ता के पक्ष में बैज

दीपक बैज ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि नक्सली शांति वार्ता के लिए पत्र भेज रहे हैं, तो सरकार को उसे गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि बस्तर फोर्स को “मशीन की तरह” इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि जवानों की ज़मीनी समस्याओं को नजरअंदाज़ किया जा रहा है।

बैज का कहना था:
“बस्तर के आदिवासी ही नक्सल मोर्चे पर लड़ रहे हैं, जबकि दूसरे नेता और मंत्री सुरक्षित इलाकों में मलाई खा रहे हैं। जवान बीमारियों से जूझ रहे हैं, क्या उन्हें कोई अतिरिक्त भत्ता दिया जाता है?”
उन्होंने सरकार से जवानों को रेस्ट देने और नक्सली वार्ता के विकल्प पर विचार करने की अपील की।

टीएस सिंहदेव बोले – “अब एक्शन का समय है”

दूसरी ओर, पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने शांति वार्ता के विचार को खारिज करते हुए कहा:
“नक्सली जब चारों तरफ से घिर गए हैं, तब शांति की बात कर रहे हैं। पिछले तीन दशकों की शहादत का समय अब परिणाम दिखाने का है। अगर उन्हें शांति चाहिए, तो वे सरेंडर करें।”
सिंहदेव ने स्पष्ट कहा कि अब संवाद नहीं, बल्कि दबाव और कार्रवाई का समय है।

 

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