बीजापुर में नक्सलियों की कायराना करतूत, प्रेशर IED ब्लास्ट में तीन ग्रामीण गंभीर घायल

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से एक बार फिर नक्सलियों की कायराना हरकत सामने आई है। जिले के मद्देड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत दम्पाया गांव के पास माओवादियों ने एक बड़ी साजिश को अंजाम देने के लिए प्रेशर IED बम बिछा रखा था। शुक्रवार सुबह उस IED में जोरदार धमाका हुआ, जिसमें तीन निर्दोष ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी घायल ग्रामीणों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
पारिवारिक काम से निकले थे ग्रामीण, अचानक हुआ धमाका
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दम्पाया गांव के एर्रागुफा पारा के तीन ग्रामीण – गोटे जोगा, विवेक ढोड़ी और बड्डे सुनील – शुक्रवार सुबह लगभग 8:30 से 9:00 बजे के बीच पारिवारिक कार्य से बंदेपारा जा रहे थे। उसी दौरान नक्सलियों द्वारा जंगल के रास्ते में लगाए गए प्रेशर IED पर उनका पैर पड़ गया, जिससे जोरदार ब्लास्ट हो गया।
धमाके में पैर और चेहरे में आई गंभीर चोटें
धमाके में तीनों ग्रामीणों को गंभीर चोटें आई हैं। विशेष रूप से उनके पैर और चेहरे पर गंभीर जख्म हुए हैं। धमाके की आवाज सुनते ही आस-पास के लोग घटनास्थल की ओर दौड़े और पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही पुलिस और सुरक्षा बल की टीम मौके पर पहुंची और घायलों को एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल भेजा गया।
घायल ग्रामीणों की पहचान
- गोटे जोगा पिता समैया मुरिया (उम्र 45 वर्ष), निवासी एर्रागुफा पारा, दम्पाया थाना मद्देड़
- विवेक ढोड़ी पिता नागैया मुरिया (उम्र 17 वर्ष), निवासी एर्रागुफा पारा, दम्पाया थाना मद्देड़
- बड्डे सुनील पिता मिब्बा मुरिया (उम्र 20 वर्ष), निवासी एर्रागुफा पारा, दम्पाया थाना मद्देड़
तीनों घायलों को प्राथमिक इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिला प्रशासन ने घायलों की मदद के लिए आवश्यक चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
सुरक्षा बलों का इलाके में सर्च ऑपरेशन
घटना के बाद पुलिस और सीआरपीएफ की टीम ने इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। यह इलाका लंबे समय से माओवाद प्रभावित रहा है और सुरक्षा बल यहां लगातार नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह IED माओवादियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए लगाया था, लेकिन निर्दोष ग्रामीण इसकी चपेट में आ गए।
एक बार फिर नक्सलियों का अमानवीय चेहरा उजागर
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि माओवादी अपने तथाकथित आंदोलन के लिए आम लोगों की जान की परवाह नहीं करते। वे निर्दोष ग्रामीणों की जिंदगी को खतरे में डालकर दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब ग्रामीण या बच्चे माओवादियों द्वारा लगाए गए IED का शिकार हो चुके हैं।