पद्मश्री सम्मान से नवाजे गए बस्तर के लोकशिल्पी पंडी राम मंडावी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वर्ष 2025 के पद्मश्री सम्मान से छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के गढ़बेंगाल निवासी पंडी राम मंडावी को सम्मानित किया है। यह सम्मान उन्हें जनजातीय वाद्ययंत्र निर्माण और काष्ठ शिल्प कला के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रदान किया गया है।
पंडी राम मंडावी ने पारंपरिक गोंड और मुरिया समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने, संरक्षित करने और आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने बस्तर की समृद्ध लोककला को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं।
मुख्यमंत्री साय ने दी शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पंडी राम मंडावी को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान न केवल एक कलाकार की साधना का फल है, बल्कि छत्तीसगढ़ की जनजातीय प्रतिभा और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मंडावी जैसे कलाकारों ने यह साबित कर दिया है कि हमारे राज्य की पारंपरिक कला भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी जगह बना सकती है।
राष्ट्रपति भवन में 68 विभूतियों को मिला पद्म सम्मान
मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों के दूसरे चरण का आयोजन हुआ, जिसमें कुल 68 हस्तियों को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। इनमें छत्तीसगढ़ से पंडी राम मंडावी भी शामिल हैं। पद्म पुरस्कारों की घोषणा पहले ही गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या यानी 25 जनवरी को की जा चुकी थी।
लोककला के संरक्षक पंडी राम मंडावी
नारायणपुर जिले के गोंड-मुरिया जनजाति से संबंध रखने वाले पंडी राम मंडावी की पहचान एक लोक कलाकार और शिल्पकार के रूप में रही है। 68 वर्षीय मंडावी पिछले लगभग पांच दशकों से पारंपरिक वाद्ययंत्रों के निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला के माध्यम से बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर रहे हैं।
‘बस्तर बांसुरी’ से मिली अलग पहचान
पंडी राम मंडावी की विशेष पहचान ‘बस्तर बांसुरी’ यानी ‘सुलुर’ से है, जिसे वे पारंपरिक विधियों से तैयार करते हैं। इसके अलावा उन्होंने लकड़ी पर उभरी चित्रकारी, मूर्तियां और अन्य शिल्पकृतियों के माध्यम से अपनी कला को वैश्विक मंच तक पहुंचाया है।