Anti Naxal Operation: माओवादी ऑपरेशन में लीक हो रही थी जानकारी, सोशल मीडिया पर लगी रोक – जवानों को दिए सख्त निर्देश

Anti Naxal Operation
Anti Naxal Operation: बस्तर संभाग में चल रहे एंटी माओवादी अभियानों के दौरान संवेदनशील रणनीति के लीक होने की घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इसी के चलते अब ऑपरेशन से जुड़ी गोपनीयता बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों को इंटरनेट और सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रहने का आदेश दिया गया है। जवानों के मोबाइल इस्तेमाल पर भी सख्त पाबंदी लगा दी गई है।
सोशल मीडिया अकाउंट करवाए गए बंद
जानकारी के अनुसार, बस्तर के सातों माओवादी प्रभावित जिलों—दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर और बस्तर में तैनात डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ जवानों के फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के अकाउंट डिलीट करवा दिए गए हैं। उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे अब किसी भी माध्यम से ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी या दृश्य साझा न करें।
ऑपरेशन के वीडियो और फोटो से मची थी हलचल
यह फैसला तब लिया गया जब हाल ही में एक माओवादी कमांडर बसवराजू के मारे जाने के बाद कई जवानों ने मुठभेड़ से संबंधित वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर दी थीं। इन पोस्ट्स में हथियार, जंगल में चलने वाले रास्ते, ऑपरेशन की लाइव लोकेशन और घायल या मारे गए माओवादियों की तस्वीरें शामिल थीं। ये वीडियो लाखों बार देखे गए, जिससे मिशन की गोपनीयता और जवानों की सुरक्षा पर सीधा खतरा उत्पन्न हुआ।
अब मोबाइल का उपयोग केवल आपात स्थिति में
सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन के दौरान मोबाइल के उपयोग को भी सख्ती से सीमित कर दिया है। जवान अब केवल इमरजेंसी या आधिकारिक बातचीत के लिए ही फोन का प्रयोग कर सकेंगे। मुठभेड़ या गश्त के समय मोबाइल से फोटो खींचना, वीडियो बनाना और रिकॉर्डिंग करना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। ऑपरेशन के बाद मोबाइल की जांच अनिवार्य कर दी गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई संवेदनशील डाटा बाहर न गया हो।
जवानों को दी जा रही साइबर काउंसलिंग
सुरक्षा बलों को साइबर सुरक्षा और गोपनीयता के मुद्दे पर विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जवानों को काउंसलिंग के जरिए यह समझाया जा रहा है कि छोटी-सी लापरवाही किस तरह पूरे ऑपरेशन को खतरे में डाल सकती है। उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई सामग्री कैसे दुश्मन के हाथ में हथियार बन सकती है।
ऑपरेशन की सफलता और जवानों की सुरक्षा सर्वोपरि
यह सख्त कदम माओवादी प्रभावित इलाकों में चल रहे अभियानों को और अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि माओवादियों की डिजिटल मॉनिटरिंग क्षमताएं अब पहले से कहीं अधिक विकसित हो चुकी हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की जानकारी लीक होना न केवल मिशन की असफलता का कारण बन सकता है बल्कि जवानों की जान पर भी भारी पड़ सकता है।
इसलिए अब ऑपरेशन के हर चरण में अधिक अनुशासन और सतर्कता बरती जा रही है। सोशल मीडिया पर पूर्ण नियंत्रण, मोबाइल पर प्रतिबंध और साइबर जागरूकता—ये सभी उपाय इस दिशा में एक निर्णायक कदम माने जा रहे हैं।