नागपुर में स्टेडियम निर्माण को लेकर गडकरी की बेबाकी: “सरकार निकम्मी होती है, मैं फोकट में कुछ नहीं देता”

नागपुर। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर अपनी साफगोई और बेबाक अंदाज़ से सबका ध्यान खींचा है। नागपुर में आयोजित “स्पोर्ट्स एज ए करियर” कार्यक्रम में उन्होंने न केवल सरकारी तंत्र पर तंज कसा, बल्कि मुफ्त की योजनाओं (फ्रीबीज) और राजनीतिक संस्कृति पर भी तीखी टिप्पणी की।
गडकरी ने कहा कि नागपुर में उनकी इच्छा है कि 300 खेल स्टेडियम बनाए जाएं, लेकिन चार साल की कोशिशों के बाद उन्हें ये समझ आया कि “सरकार बहुत निकम्मी होती है। निगम और कॉर्पोरेशन चलती गाड़ी को पंक्चर करने का काम करते हैं।” उन्होंने साफ कहा कि सरकारी सिस्टम के भरोसे कोई काम पूरा नहीं हो सकता।
“फुकट का कुछ नहीं देता”
गडकरी ने मुफ्त योजनाओं पर प्रहार करते हुए कहा,
“सबको फोकट का कुछ चाहिए, लेकिन मैं फोकट में कुछ नहीं देता।”
उन्होंने कहा कि राजनीति अब “फुकटों का बाज़ार” बन गई है, जहां हर कोई बिना मेहनत के सबकुछ पाना चाहता है, मगर वे इस सोच से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि खेल और राजनीति दोनों नशे की तरह हैं, जिसमें व्यक्ति विचार करना छोड़ देता है।
निजी निवेश से स्टेडियम का मॉडल
गडकरी ने बताया कि उन्होंने दुबई के एक कारोबारी से चर्चा की है जो स्टेडियम का संचालन करता है। उनके प्रस्ताव के अनुसार:
- स्टेडियम निर्माण के लिए 15 साल के लिए टेंडर जारी किए जाएंगे।
- सरकार गैलरी, लाइट और आधारभूत सुविधाएं तैयार कर देगी।
- लॉन और स्टेडियम की मेंटेनेंस निजी संस्था करेगी।
- 500-1000 रुपये की न्यूनतम फीस खिलाड़ियों से ली जाएगी।
“सत्ता, संपत्ति और सौंदर्य क्षणभंगुर हैं”
गडकरी ने युवाओं को जीवन में ईमानदारी और मेहनत से करियर बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा,
“सत्ता, संपत्ति और सौंदर्य कभी स्थायी नहीं होते, ये क्षणभंगुर होते हैं। अच्छे वक्त में सब तारीफ करते हैं, लेकिन बुरे वक्त में कोई नहीं पूछता।”
गडकरी ने यह भी कहा कि वे भले ही वित्तीय सलाहकार या चार्टर्ड अकाउंटेंट न हों, लेकिन पांच लाख करोड़ रुपये के काम बिना पैसे के कैसे कराए जाते हैं, यह उन्हें बखूबी आता है।
इस पूरे संबोधन में गडकरी ने एक बार फिर साबित किया कि वे न केवल योजनाकार हैं, बल्कि सच्चाई बोलने वाले नेता भी हैं, जो व्यवस्था की खामियों को सामने रखने से नहीं डरते।