Jairam Ramesh on Indian Foreign Policy: जयराम रमेश का हमला, ट्रंप-पाक रिश्तों के बहाने मोदी सरकार की विदेश नीति पर उठाए सवाल, गिनाए 4 उदाहरण

Jairam Ramesh on Indian Foreign Policy

Jairam Ramesh on Indian Foreign Policy

नई दिल्ली | Jairam Ramesh on Indian Foreign Policy: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने शुक्रवार, 25 जुलाई को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा कर दावा किया कि बीते दो महीनों में जो अंतरराष्ट्रीय घटनाएं सामने आई हैं, उन्होंने मोदी की कूटनीतिक छवि की पोल खोल दी है। रमेश ने अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में आई गर्मजोशी का हवाला देते हुए मोदी सरकार की रणनीतिक विफलताओं की ओर इशारा किया और चार ठोस उदाहरण गिनाए।

जयराम रमेश ने कौन-कौन से आरोप लगाए?

1. ट्रंप का 25 बार का दावा:
जयराम रमेश ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई 2025 से अब तक सार्वजनिक तौर पर 25 बार दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे टकराव को रोकने के लिए व्यक्तिगत दखल दिया। ट्रंप का कहना है कि अगर उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम पर बड़ा युद्ध छिड़ सकता था। उन्होंने यहां तक धमकी दी थी कि यदि युद्ध नहीं रुका तो अमेरिका भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापारिक रिश्ते तोड़ देगा।

2. पाकिस्तान को बताया गया “शानदार साझेदार”:
रमेश ने दूसरा बड़ा उदाहरण 10 जून 2025 को सामने आए बयान का दिया, जब अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का “शानदार साझेदार” बताया। रमेश ने सवाल उठाया कि अगर पाकिस्तान अमेरिका का इतना करीबी सहयोगी बन गया है, तो भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक स्थिति कहां खड़ी है?

3. ट्रंप और पाक सेना प्रमुख की व्हाइट हाउस बैठक:
तीसरा उदाहरण देते हुए रमेश ने कहा कि 18 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल और सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ व्हाइट हाउस में लंच मीटिंग की। रमेश ने इस पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इसी मुनीर के भड़काऊ बयानों के चलते 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमला हुआ था। इसके बावजूद अमेरिका द्वारा उनके साथ बैठक करना भारत की रणनीतिक विफलता को दर्शाता है।

4. अमेरिका ने पाकिस्तान को दिया धन्यवाद:
रमेश ने चौथा उदाहरण 25 जुलाई का दिया, जब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार से मुलाकात की और आतंकवाद व क्षेत्रीय स्थिरता के लिए पाकिस्तान को धन्यवाद दिया। रमेश का सवाल था – अमेरिका अगर पाकिस्तान का आभार जता रहा है, तो भारत की भूमिका को दुनिया में क्या नजरिया मिल रहा है?

‘मोदी-ट्रंप दोस्ती’ को बताया दिखावा

जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रचारित “मोदी-ट्रंप दोस्ती” पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक भ्रमपूर्ण प्रचार था, जिसका भारत को अब खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि साल 2020 में मोदी सरकार ने चीन को क्लीन चिट दी थी, जिसकी कीमत देश को आज भी चुकानी पड़ रही है। रमेश ने कहा कि विदेश नीति में दिखावा, अहंकार और जमीन से कटे हुए निर्णयों ने भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को कमजोर किया है।

कांग्रेस बनाएगी बड़ा चुनावी मुद्दा

कांग्रेस पार्टी इन बयानों को आने वाले चुनावों में एक बड़े राष्ट्रीय मुद्दे के तौर पर पेश करने की तैयारी में है। पार्टी का आरोप है कि मोदी सरकार की विदेश नीति अब केवल प्रतिक्रियात्मक बनकर रह गई है, जबकि चीन, पाकिस्तान और अमेरिका जैसी ताकतें अपने-अपने रणनीतिक मोर्चों पर भारत को लगातार घेर रही हैं।

जयराम रमेश के इस पोस्ट ने एक बार फिर सियासी हलकों में भारत की विदेश नीति को लेकर बहस छेड़ दी है, और माना जा रहा है कि कांग्रेस आने वाले हफ्तों में इस विषय को और आक्रामक तरीके से उठाएगी।

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