भारतमाला घोटाला: चार आरोपियों को कोर्ट से राहत, SDM समेत कई अफसर अब भी फरार

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाले में फंसे चार आरोपियों को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की एकल पीठ ने हरमीत खनूजा, विजय जैन, उमा तिवारी और केदार तिवारी को नियमित जमानत दे दी है।
आरोपियों की ओर से पेश वकीलों मनोज परांजपे और सरफराज खान ने दलीलों में कहा कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ जमानत न देने का कोई वैधानिक आधार नहीं है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत मंजूर की कि यह कोई अंतरिम राहत नहीं, बल्कि कानूनी अधिकार के तहत दी जा रही जमानत है।
क्या है मामला?
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 546 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है। इस परियोजना के लिए कई किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई, लेकिन मुआवजा वितरण में फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार सामने आया। आरोप है कि जमीन को कृत्रिम रूप से छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर, फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया।
ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की जांच में सामने आया कि मुआवजा राशि गैर पात्र लोगों को दिलवाई गई। अब तक इस घोटाले में सरकार को लगभग 600 करोड़ रुपये की क्षति होने का अनुमान है।
कौन-कौन है आरोपी?
इस घोटाले में अब तक कई सरकारी अधिकारियों की भूमिका सामने आ चुकी है। SDM निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर किरण, पटवारी जितेंद्र साहू, बसंती धृतलहरें और लेखराम देवांगन के खिलाफ ईओडब्ल्यू और एसीबी में मामला दर्ज है। इन सभी पर भूमाफियाओं को फर्जी तरीके से कई गुना अधिक मुआवजा दिलवाने का आरोप है।
सरकार ने मार्च में तत्कालीन SDM निर्भय साहू सहित तीन पटवारियों और दो तहसीलदारों को निलंबित कर दिया था। फिलहाल ये सभी आरोपी फरार हैं और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
ताज़ा कार्रवाई
ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में शामिल 6 अन्य आरोपियों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया है। वहीं, न्यायालय से मिली जमानत के बाद हरमीत खनूजा, विजय जैन, उमा तिवारी और केदार तिवारी को अस्थायी राहत जरूर मिली है, लेकिन मामले की जांच अभी जारी है।