छत्तीसगढ़ में धान बुआई की शुरुआत: खाद की कमी से किसान परेशान , सरकार ने केंद्रों को दिए सख्त निर्देश

रायपुर : प्रदेश में मानसून की सक्रियता और शुरुआती बारिश के बाद किसानों ने खरीफ सीजन की बुआई की तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन खेती के इस अहम दौर में खाद की किल्लत ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। अधिकांश कृषि सहकारी समितियों में डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद की भारी कमी देखी जा रही है। किसान जहां डीएपी की मांग कर रहे हैं, वहीं उन्हें एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम) खाद दिया जा रहा है — वह भी कई स्थानों पर उपलब्ध नहीं है।

जमीनी हकीकत – समितियों में खाद का संकट :

महासमुंद, बालोद, दुर्ग, धमतरी, कांकेर, बिलासपुर, कोरबा और जांजगीर-चांपा सहित कई जिलों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि समितियों में डीएपी और एनपीके दोनों ही खाद अनुपलब्ध हैं। किसान मजबूरी में बाजार का रुख कर रहे हैं, जहां सरकारी दरों से 400-500 रुपये प्रति बोरी महंगी खाद खरीदनी पड़ रही है। इससे उत्पादन लागत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी की आशंका है।

5.52 लाख टन खाद का भंडारण – लेकिन मांग ज्यादा :

अपेक्स बैंक के प्रबंध संचालक केएन काण्डे के अनुसार, राज्य में अब तक 5.52 लाख टन खाद का भंडारण किया जा चुका है। इसमें से 2.55 लाख टन खाद का वितरण किसानों को किया गया है और 2.18 लाख टन खाद वर्तमान में स्टॉक में है। उपलब्ध खाद में शामिल हैं: यूरिया – 92,120 टन, सुपर फास्फेट – 47,451 टन, डीएपी – 19,885 टन, एनपीके – 32,643 टन

पोटाश – 25,855 टन :

सरकार का कहना है कि एनपीके, सुपर फास्फेट और यूरिया को डीएपी के विकल्प के रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन किसानों का भरोसा अभी भी डीएपी पर ही ज्यादा है।

खेती का रकबा और मांग बराबर, पर आपूर्ति में बाधा :

छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन के दौरान करीब 48.08 लाख हेक्टेयर में खेती होती है, जिसमें 37 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई होती है। सरकार ने खाद और बीज के लिए पर्याप्त भंडारण की बात कही है, लेकिन फील्ड स्तर पर वितरण में अड़चनों के कारण किसान समय पर खाद नहीं पा रहे हैं।

सहकारिता मंत्री ने दिए सख्त निर्देश :

सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने खाद संकट को गंभीरता से लेते हुए विपणन संघ के सभी प्रदाय केंद्रों को निर्देश दिए हैं कि वे कम से कम 100 टन यूरिया, एनपीके, सुपर फास्फेट और 50 टन पोटाश का न्यूनतम स्टॉक जून-जुलाई तक बनाए रखें। साथ ही, भंडारण और वितरण की रोज़ाना समीक्षा करने को भी कहा गया है, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।

 

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