डोंगरगढ़ में योग नहीं, नशे का व्यापार! विदेशी फंडिंग और रेव नेटवर्क का खुलासा

डोंगरगढ़ (राजनांदगांव)। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ की शांत और आध्यात्मिक पहाड़ियों के बीच से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। प्रज्ञागिरी पर्वत के पास बने एक आश्रम में योग और साधना के नाम पर चल रहा था नशे और वासना का गोरखधंधा। खुद को अंतरराष्ट्रीय योगगुरु बताने वाला तरुण अग्रवाल उर्फ सोनू (45 वर्ष) न सिर्फ गांजे की तस्करी करता था, बल्कि सेक्स टॉय, नशीली दवाइयों और विदेशी नेटवर्क के जरिए युवाओं को नशे के दलदल में धकेल रहा था।

बाबा की वेशभूषा, कारोबार पाखंड का मुखौटा

तरुण अग्रवाल लंबे बाल, ढीले कपड़े और योगगुरु की तरह दिखता था। उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल में हजारों विदेशी फॉलोअर्स हैं। लेकिन जब पुलिस ने उसके फार्महाउस में छापा मारा, तो असली चेहरा सामने आया। फार्महाउस के दीवान से करीब 2 किलो गांजा, सेक्स टॉय, नशीली गोलियां और इंजेक्शन बरामद किए गए। इसके अलावा कुछ संदिग्ध वीडियो उपकरण और विदेशी बॉक्स भी मिले, जिनकी अब साइबर सेल जांच कर रही है।

गोवा से लेकर डोंगरगढ़ तक फैला नेटवर्क

बाबा तरुण ने पुलिस को बताया कि वह डोंगरगढ़ का स्थायी निवासी है, लेकिन पिछले 10 वर्षों से गोवा में ‘हेरिटेज योग सेंटर’ चला रहा था। वहां वह विदेशी पर्यटकों को योग और ध्यान की आड़ में नशे की दुनिया से जोड़ता था। उसने विदेशी महिलाओं और मेडिटेशन रिट्रीट के नाम पर ऐसा नेटवर्क खड़ा किया, जो दिखने में आकर्षक लेकिन अंदर से पूरी तरह गिरा हुआ था। यही मॉडल वह अब डोंगरगढ़ में उतारने आया था।

डोंगरगढ़ में उसने एक फार्महाउस को योग आश्रम का रूप देकर प्रचार किया कि वह यहां गोवा जैसा सेंटर खोलेगा, लेकिन उसकी गतिविधियों पर पहले से संदेह था। पुलिस की टीम ने फार्महाउस पर दबिश दी और पूरा भंडाफोड़ कर दिया।

पुलिस को मिले हवाले विदेशी कनेक्शन के

एसडीओपी आशीष कुंजाम ने बताया कि बाबा खुद को 100 देशों में घूम चुका योगगुरु बता रहा है और दावा करता है कि वह 10 से अधिक एनजीओ का डायरेक्टर है। पुलिस अब उसके पासपोर्ट, एनजीओ के दस्तावेज, बैंक खाते और सोशल मीडिया गतिविधियों की गहन जांच कर रही है।

फार्महाउस से मिले विदेशी उपकरणों और वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए पुलिस को शक है कि वह विदेशों से किसी खास नेटवर्क के संपर्क में था। इन उपकरणों की जांच साइबर टीम कर रही है।

देर रात तक चलता था ‘आश्रम में उल्लास’

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बाबा के फार्महाउस में देर रात तक बाहरी लड़के-लड़कियों का आना-जाना लगा रहता था। कुछ युवाओं को ‘ध्यान शिविर’ के नाम पर गांजा देकर ‘शांति की अनुभूति’ सिखाई जाती थी। इसके पीछे एक मिनी रेव पार्टी कल्चर विकसित करने की योजना बताई जा रही है।

 

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