तेंदूपत्ता संग्रहण पर मौसम की मार: बेमौसम बारिश और आंधी-ओलों से तेंदूपत्ता संग्रहण प्रभावित, 90 करोड़ का संभावित नुकसान

बस्तर। बस्तर संभाग में तेंदूपत्ता संग्रहण पर इस बार मौसम की मार ने गहरा असर डाला है। बेमौसम बारिश, आंधी और ओलों के कारण तेंदूपत्ता तोड़ाई कार्य में भारी बाधा आई है, जिससे संग्राहकों को लगभग 90 करोड़ रुपये के पारिश्रमिक का नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।

वन विभाग के अनुसार, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों में तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे रह गया है। संभाग के 1,01,057 संग्राहकों ने अब तक केवल 1,16,999 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया है, जबकि वर्ष 2025 के लिए इन चार जिलों में 2,70,600 मानक बोरा का लक्ष्य रखा गया था।

पिछले वर्ष 155 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक प्रदान :

पिछले वर्ष 2024 में तेंदूपत्ता संग्राहकों को 155 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक प्रदान किया गया था, जो अब तक का एक रिकॉर्ड था। लेकिन इस बार खराब मौसम के चलते अब तक केवल 64.35 लाख रुपये का ही पारिश्रमिक दिया जा सका है।

विभागीय अधिकारियों के अनुसार, बेमौसम बारिश और ओलों के कारण न केवल संग्रहण की मात्रा घटी है, बल्कि पत्तों की गुणवत्ता में भी गिरावट आई है। इससे न केवल राज्य सरकार के राजस्व पर असर पड़ेगा, बल्कि उन हजारों आदिवासी परिवारों की जीविका भी प्रभावित होगी जिनकी आर्थिक निर्भरता तेंदूपत्ता संग्रहण पर है।

तेंदूपत्ता, जिसे स्थानीय लोग “हरे सोना” के नाम से जानते हैं, गर्मी के मौसम में वनवासी परिवारों के लिए आमदनी का एक प्रमुख स्रोत होता है। लेकिन इस बार तेज हवाओं, भारी बारिश और ओलों ने कोमल तेंदूपत्तों को व्यापक नुकसान पहुंचाया है।

Youthwings