भाजपा विधायक ईश्वर साहू पर बड़ा आरोप: स्वेच्छानुदान में ‘रिश्तेदारी राज’, PSO-PA के परिवारवालों को बंटा पैसा!

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। भाजपा विधायक ईश्वर साहू अब कथित स्वेच्छानुदान घोटाले के चलते विवादों के केंद्र में हैं। आरोप है कि विधायक के निजी स्टाफ — PSO, PA और कंप्यूटर ऑपरेटर — ने जरूरतमंदों के लिए तय इस राशि को अपने रिश्तेदारों में बांट दिया!
वायरल हुई लिस्ट में दर्जनों ऐसे नाम सामने आए हैं जो सीधे तौर पर PSO ओम साहू, PA दिग्विजय केशरी, अनुज वर्मा, और कंप्यूटर ऑपरेटर धीरज पटेल के रिश्तेदार बताए जा रहे हैं। इन लोगों को 20 से 40 हजार रुपये तक की सहायता दी गई है।
ओम साहू के 20 से ज्यादा रिश्तेदारों को पैसा!
सूत्रों के मुताबिक, PSO ओम साहू के 20 से ज्यादा करीबी रिश्तेदारों को 20-40 हजार रुपये की ‘मदद’ मिली है। लिस्ट में साहू उपनाम वाले कई नाम हैं, जिनका संबंध सीधे ओम साहू से बताया गया है।
PA और ऑपरेटर भी पीछे नहीं: भतीजे, साढ़ू, चचेरे… सबको मिली ‘सहायता’
इसी लिस्ट में करीब सात नाम PA दिग्विजय केशरी और अनुज वर्मा के रिश्तेदारों के हैं। किसी को 25 हजार, तो किसी को 40 हजार रुपये दिए गए। कंप्यूटर ऑपरेटर धीरज पटेल ने भी अपने परिवारवालों का नाम सूची में शामिल करवाया और उन्हें 25-30 हजार की रकम मिली।
मीडिया के सवालों पर चुप्पी, मोबाइल बंद!
जब मीडिया ने मामले में स्टाफ से जवाब मांगा, तो PA दिग्विजय केशरी और अनुज वर्मा ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा, “मैं क्या बोलूं?” वहीं, PSO ओम साहू का मोबाइल स्विच ऑफ मिला।
कांग्रेस का हमला: ‘मामा-चाचा सबका हिस्सा’
वायरल लिस्ट के बाद कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है। पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा, “माले मुफ्त, दिले मेहरबान… यह तो राम राज है। जितना लूट सकते हो, लूट लो। जरूरतमंदों के हिस्से का पैसा रिश्तेदारों में बांट दिया गया। ये बंदरबांट नहीं, सीधे-सीधे भाई-भतीजावाद की लूट है।”
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर विधायक ईश्वर साहू और उनके स्टाफ को आड़े हाथों लेते हुए कहा:
“भाई का… मामा का… चाचा का… सबका पैसा ले रहे हैं ईश्वर साहू। विधायक के PSO और PA का करिश्मा देखिए – जरूरतमंदों का पैसा, अपनों में बांट लिया।”
बड़ा सवाल: क्या होगी कार्रवाई या फिर दबा दिया जाएगा मामला?
सवाल यह है कि स्वेच्छानुदान जैसे जनहित फंड का इस तरह रिश्तेदारी में बंटवारा क्या प्रशासन की जानकारी में हुआ? और अगर हुआ तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या ईश्वर साहू के स्टाफ ने अकेले यह खेल रचा, या फिर इसके तार ऊपर तक जुड़े हुए हैं? कांग्रेस का इशारा साफ है—“अगर जांच नहीं हुई तो समझो बड़े लोग भी शामिल हैं।”