भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर ट्रंप का यू-टर्न: अब कहा- ‘अमेरिका की कोई भूमिका नहीं’

भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुए सीजफायर समझौते को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा यू-टर्न लिया है। लंबे समय तक संघर्ष विराम का श्रेय खुद को देने के बाद अब ट्रंप ने पहली बार स्वीकार किया है कि इसमें अमेरिका की कोई दखल नहीं थी और यह निर्णय भारत और पाकिस्तान के नेताओं ने स्वयं लिया था।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद थमी गोलाबारी, ट्रंप ने नहीं लिया क्रेडिट

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि 6-7 मई की रात भारतीय सेना के “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद पाकिस्तान और भारत के नेताओं ने युद्ध न बढ़ाने का स्वतंत्र और सामरिक निर्णय लिया। 10 मई को गोलाबारी बंद हुई। यह पहला मौका है जब ट्रंप ने अपने पूर्व बयानों के उलट कहा कि अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं रही और भारत-पाकिस्तान की सरकारों और सेना प्रमुखों को ही इसका श्रेय मिलना चाहिए।

जनरल मुनीर और पीएम मोदी की सराहना

व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से मुलाकात के बाद ट्रंप ने कहा, “मैं जनरल मुनीर से मिलकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने युद्ध न करने का फैसला लेकर बड़ी समझदारी दिखाई।”

उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ करते हुए कहा, “मोदी एक शानदार इंसान हैं। उन्होंने युद्ध रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई।” ट्रंप ने अफसोस जताया कि मीडिया में इस पहलू को पर्याप्त कवरेज नहीं मिला।

परमाणु युद्ध की आशंका जताई

ट्रंप ने जोर देकर कहा कि अगर संघर्ष नहीं रोका जाता तो यह टकराव परमाणु युद्ध में बदल सकता था, क्योंकि दोनों देश परमाणु संपन्न हैं। उन्होंने कहा, “भारत और पाकिस्तान के नेता बहुत समझदार हैं और उन्होंने दुनिया को एक बड़े संकट से बचाया है।”

पहले ले चुके हैं 15 बार श्रेय

गौरतलब है कि 10 मई के सीजफायर के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने 15 से अधिक बार यह दावा किया था कि उनके प्रयासों के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष बंद हुआ। उन्होंने कहा था कि व्यापार और कूटनीति के जरिए उन्होंने दोनों देशों को गोलाबारी रोकने के लिए राजी किया। हालांकि, भारत ने इन दावों का बार-बार खंडन किया।

भारत का स्पष्ट खंडन

भारत के विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने साफ किया था कि यह सीजफायर दोनों देशों के DGMOs (सेनाओं के महानिदेशक सैन्य संचालन) के बीच हुई वार्ता और पाकिस्तान की सीधी अपील के बाद लागू हुआ था। भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि इसमें किसी तीसरे देश की भूमिका या मध्यस्थता नहीं थी।

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