India Pakistan Ceasefire पर ट्रम्प का नया बयान, कहा- न्यूक्लियर वॉर मैंने रुकवाई, लेकिन क्रेडिट नहीं मिला

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को लेकर दिए गए बयानों के कारण सुर्खियों में हैं। ट्रम्प ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों के बीच संभावित परमाणु युद्ध को टालने में अहम भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहा, “हालात इतने खराब हो गए थे कि अगला कदम ‘N वर्ड’ यानी न्यूक्लियर वॉर हो सकता था।” ट्रम्प ने इस घटनाक्रम को अपनी विदेश नीति की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया, हालांकि यह भी जोड़ा कि उन्हें इसका कोई क्रेडिट नहीं मिला।
बिजनेस को बताया शांति का जरिया
पूर्व राष्ट्रपति ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को शांति के बदले व्यापार प्रस्ताव देकर बातचीत के लिए तैयार किया। उन्होंने कहा, “अब मैं बिजनेस का इस्तेमाल हिसाब चुकता करने और शांति स्थापित करने के लिए कर रहा हूं।”
ट्रम्प के बयानों का बदलता क्रम
- 10 मई – सीजफायर पर पहला दावा
“भारत और पाकिस्तान सीजफायर पर सहमत हो गए हैं। मैं दोनों देशों को समझदारी दिखाने के लिए बधाई देता हूं।” - 11 मई – कश्मीर मुद्दे पर हल निकालने की पेशकश
“भारत और पाकिस्तान की नेतृत्व क्षमता पर गर्व है। उन्होंने एक बड़ा फैसला लेकर लाखों जानें बचा लीं।” - 12 मई – परमाणु युद्ध रोकने का दावा
“मैंने परमाणु युद्ध को रोक दिया। सीजफायर में अमेरिका ने मदद की है।” - 13 मई – सीजफायर के पीछे व्यापार कूटनीति
“मैंने सीजफायर के लिए व्यापार का सहारा लिया। मेरा सपना है वैश्विक शांति।” - 15 मई – बयान में यू-टर्न
“मैंने मध्यस्थता नहीं की, सिर्फ मदद की। यह मेरा नहीं, लेकिन मैंने हालात को स्थिर करने में अहम भूमिका निभाई।”
संघर्ष विराम से खुश, लेकिन श्रेय का असमंजस
ट्रम्प ने यह भी कहा कि वह भारत-पाक सीजफायर से खुश हैं और उम्मीद करते हैं कि यह समझौता बना रहेगा। उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच तनाव बहुत खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था।
विश्लेषण: प्रचार या कूटनीति?
ट्रम्प के बयानों की बदलती श्रृंखला से यह स्पष्ट है कि वे इस मुद्दे पर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं। जहां एक ओर वे खुद को शांति दूत के रूप में प्रस्तुत करते हैं, वहीं दूसरी ओर जब तथ्य सामने आते हैं तो अपने बयान से पीछे हटने की भी कोशिश करते हैं।