जेल से सोनम वांगचुक का पहला बयान : “शांति, एकता और अहिंसा से लड़े लद्दाख की लड़ाई”
लेह। लद्दाख के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ सोनम वांगचुक का जेल से पहला संदेश सामने आया है। लेह हिंसा मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किए जाने के बाद वे पिछले 10 दिनों से राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। अपने बड़े भाई त्सेतन दोरजे ले और वकील मुस्तफा हाजी के जरिए वांगचुक ने लोगों तक संदेश पहुंचाया है।
जेल से आया संतुलित संदेश
वांगचुक ने अपने संदेश में कहा कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं और सभी शुभचिंतकों की चिंताओं और प्रार्थनाओं के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने लेह हिंसा में मारे गए चार लोगों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं प्रकट कीं और स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वे जेल में रहने को तैयार हैं।
संवैधानिक मांगों पर अडिग
वांगचुक ने दोहराया कि वे लद्दाख के लोगों की संवैधानिक मांगों के साथ खड़े हैं। उन्होंने छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा देने की मांग को न्यायसंगत बताया और कहा कि वे कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) और लद्दाख के सर्वोच्च निकाय के हर निर्णय का समर्थन करेंगे।
गांधीवादी मार्ग पर अपील
उन्होंने लोगों से अपील की कि आंदोलन को पूरी तरह शांति, एकता और अहिंसा के रास्ते पर चलाया जाए। उन्होंने कहा कि लद्दाख का संघर्ष गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।
पृष्ठभूमि: लेह हिंसा और NSA के तहत गिरफ्तारी
बता दें कि 26 सितंबर 2025 को लेह में छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की मौत और 90 से ज्यादा लोग घायल हुए। इसके बाद प्रशासन ने सोनम वांगचुक को NSA के तहत हिरासत में लेकर जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया। NSA के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमे के 12 महीने तक बंद रखा जा सकता है, यदि उसकी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा समझी जाएं।
सरकार का आरोप है कि कुछ नेताओं ने युवाओं को भड़काया, जिससे हालात बिगड़े। वहीं कई संगठनों ने वांगचुक की गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तैयारी
इस बीच, सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसमें NSA के तहत गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए तत्काल रिहाई की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सोमवार, 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
