मानसून सत्र का दूसरा दिन: सीएसआर मद और जल जीवन मिशन को लेकर विधानसभा में गरमाया माहौल, विपक्ष ने किया वॉकआउट

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रश्नकाल में आज बस्तर संभाग में सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड और जल जीवन मिशन के तहत खर्च की गई राशि को लेकर जोरदार बहस हुई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधायक किरण सिंहदेव ने बस्तर संभाग में उद्योगों से प्राप्त 21 करोड़ रुपये की सीएसआर मद की राशि का मुद्दा उठाया।

उन्होंने सवाल किया कि, “7.44 करोड़ रुपये की राशि किस मद में खर्च हुई? किस-किस कार्य में इस राशि का उपयोग हुआ?”

इस पर उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने जवाब देते हुए कहा कि इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई है, कि राशि किन-किन मदों में खर्च की गई।

सीएसआर फंड को लेकर कटौती का आरोप

किरण सिंहदेव ने आरोप लगाया कि, पिछले दो वर्षों में बस्तर जिले में कलेक्टर द्वारा सीएसआर फंड से कोई राशि आवंटित नहीं की गई। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से प्रस्तावित विकास कार्यों को भी स्वीकृति नहीं मिली और प्रावधानित राशि में कटौती की गई।

जवाब में उद्योग मंत्री ने बताया कि, “सदस्य का एक प्रस्ताव स्वीकृत हुआ है, जबकि 17 प्रस्तावों की स्वीकृति अभी बाकी है। आगे और कार्य स्वीकृत किए जाएंगे।”

सीएसआर फंड का प्रतिशत क्या है?

नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने पूछा कि उद्योगों को सीएसआर मद में कितना प्रतिशत देना अनिवार्य है?

इस पर मंत्री ने बताया कि, “पिछले तीन साल की औसत आय के आधार पर 2 प्रतिशत की राशि सीएसआर मद में खर्च किया जाता है।”

डॉ. महंत ने भूपेश सरकार और वर्तमान सरकार के कार्यकाल की तुलनात्मक जांच कराने की मांग की।

जल जीवन मिशन पर भी छिड़ा राजनीतिक घमासान

विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जल जीवन मिशन की प्रगति पर सवाल उठाते हुए पूछा कि वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में कितनी राशि खर्च हुई और कितने घरों तक वास्तव में पानी पहुंचा है?

डिप्टी सीएम और जल संसाधन मंत्री अरुण साव ने जानकारी दी कि:

वर्ष 2022-23 से अब तक कुल 15,045 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो कुल लक्ष्य का 57% है। 31.16 लाख घरों में नल से पानी पहुंचाया गया है। 3,836 गांवों में 100% नलजल सुविधा उपलब्ध कराई गई है। कुल 49 लाख घरों में नल कनेक्शन देना लक्ष्य है।

“आपने सिर्फ नल लगाए, पानी नहीं दिया” – अरुण साव

अरुण साव ने कहा कि, “भूपेश सरकार के कार्यकाल में सिर्फ कागजों में 36 लाख नल कनेक्शन दिखाए गए। वेरिफिकेशन में पाया गया कि केवल 21 लाख घरों में ही पानी मिल रहा था। शेष 15 लाख घरों में सिर्फ नल लगाए गए, पानी की सुविधा नहीं दी गई थी।”

इस पर बघेल ने पलटवार करते हुए कहा, “अब तक अगर 31 लाख घरों में पानी पहुंचा है तो इसका मतलब डबल इंजन सरकार ने 2 साल में सिर्फ 10 लाख नए कनेक्शन ही पानी के साथ दिए। क्या ये भी आंकड़ों की बाजीगरी है?”

विपक्ष का हंगामा और वॉकआउट

नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सरकार पर आरोप लगाया कि, “20 महीने में सिर्फ 7 प्रतिशत काम हुआ है, जबकि हमारी सरकार ने 74% काम पूरा किया था।”
जवाब में अरुण साव ने कहा, “हमने 10 लाख घरों में नल के साथ पानी दिया है।”

भूपेश बघेल ने फिर सवाल उठाया कि इन 7 महीनों में कितने नल कनेक्शन दिए गए और कितनी राशि खर्च हुई?

जवाब से असंतुष्ट विपक्षी विधायकों ने सरकार पर झूठे आंकड़े पेश करने का आरोप लगाया और सदन से वॉकआउट कर दिया।

जायसवाल निको इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर भी उठा सवाल

विधायक अनुज शर्मा ने पूछा कि मेसर्स जायसवाल निको इंडस्ट्री लिमिटेड के ब्लास्ट फर्नेस और पावर प्लांट में 28/11/2024 को श्रम कल्याण निधि अधिनियम के तहत निरीक्षण किया गया था या नहीं? यदि हां, तो क्या विसंगतियां पाई गईं?

इस पर मंत्री लखनलाल देवांगन ने बताया कि, “निरीक्षण में कुछ विसंगतियां पाई गई थीं, लेकिन अधिनियम के अंतर्गत कोई प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करने का प्रावधान नहीं है। प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत जानकारी परीक्षण में संतोषजनक पाई गई।”

Youthwings