SECL दीपका विस्तार परियोजना में बड़ा घोटाला: 152 ‘काल्पनिक मकानों’ के नाम पर बंटा मुआवजा, पात्र लोग रह गए इंतजार में, अब खुली पोल

कोरबा — SECL की दीपका विस्तार परियोजना में बड़े पैमाने पर मुआवजा घोटाले का खुलासा हुआ है। ग्राम मलगांव में जमीन अधिग्रहण के दौरान सर्वेक्षण रिपोर्ट में शामिल 152 मकान वास्तव में मौजूद ही नहीं थे, यानी ये काल्पनिक मकान थे। यह चौंकाने वाला खुलासा जिला प्रशासन की जांच में सामने आया है।
कटघोरा एसडीएम रोहित सिंह के नेतृत्व में की गई जांच में यह घोटाला उजागर हुआ। कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर जारी जांच में पता चला कि गलत मेजरमेंट बुक और फर्जी रिपोर्ट के आधार पर इन मकानों को मुआवजे की पात्र सूची में शामिल कर दिया गया था।
क्या है पूरा मामला?
दीपका कोल परियोजना के लिए वर्ष 2004 में कोल बेयरिंग एरिया (अर्जन एवं विकास) अधिनियम 1957 की धारा 9(1) के तहत ग्राम मलगांव की 63.795 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। वर्ष 2022-23 में परिसंपत्तियों के सर्वे के दौरान 1638 मेजरमेंट बुक तैयार की गई थीं। इन्हीं के आधार पर मुआवजे की गणना की गई थी।
लेकिन मई 2025 में जब भूमि पर मौजूद संरचनाओं को हटाया गया, तब SECL दीपका प्रबंधन को पता चला कि कई मकान भौतिक रूप से वहां मौजूद ही नहीं थे।
गूगल अर्थ ने खोली पोल
जांच में गूगल अर्थ (2018-2022) की तस्वीरों का भी उपयोग किया गया। SECL ने 78 मकानों की सूची प्रशासन को सौंपी, जो मौके पर नहीं पाए गए। वहीं, राजस्व अधिकारियों ने 74 और मकानों की पहचान की, जो गूगल अर्थ की तस्वीरों में भी नहीं दिखे। इस तरह कुल 152 मकान ‘काल्पनिक’ पाए गए।
SDM ने मुआवजा निरस्त करने का आदेश दिया:
कटघोरा के एसडीएम ने SECL दीपका के मुख्य महाप्रबंधक को पत्र जारी कर: सभी काल्पनिक मकानों का मुआवजा तत्काल निरस्त करने, यदि किसी को पहले ही भुगतान किया गया है तो 15 दिनों के भीतर वसूली की कार्रवाई शुरू करने, और 3 दिनों के भीतर रिपोर्ट के साथ विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया है।
मेजरमेंट टीम पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई
हालांकि घोटाले का पर्दाफाश हो गया है, लेकिन परिसंपत्तियों की मेजरमेंट करने वाली टीम पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सूत्रों के अनुसार:
सर्वे टीम में पटवारी, PWD, PHE, वन और कृषि विभाग के अधिकारी शामिल थे, रिपोर्ट में हस्ताक्षर तो पूरी टीम के होते थे, लेकिन सर्वेक्षण अक्सर अधूरा होता था।ग्रामीणों का आरोप है कि पूरी टीम कभी मौके पर नहीं आई, जिससे गड़बड़ी होना तय था।
CBI की जांच के बाद जागा प्रशासन
इस बार ग्रामीणों ने मामले की शिकायत CBI से की, जिसके बाद CBI टीम ने छापेमारी की और जांच शुरू की। इसी दौरान SECL को वास्तविक स्थिति का पता चला और फिर मामला जिला प्रशासन तक पहुँचा।
फर्जीवाड़े में उठाया गया मुआवजा, असली लोग रह गए इंतजार में
जिन 152 काल्पनिक मकानों की बात की जा रही है, उनमें से कई के नाम पर मुआवजा पहले ही निकाल लिया गया है। फर्जी रिपोर्ट तैयार करवाने वालों ने जल्दी मुआवजा उठा लिया। जबकि सही पात्र लोग मुआवजा दर बढ़ने का इंतजार करते रह गए। अब इस गलत भुगतान की वसूली SECL के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है।