रायपुर का स्काई वॉक: करोड़ों की फिजूलखर्ची पर उठ रहे सवाल, विकास की दिशा में ठोस कदम या शहरी सौंदर्यीकरण के नाम पर दिखावटी निवेश?

रायपुर: राजधानी रायपुर में बहुचर्चित स्काई वॉक एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह प्रशंसा नहीं, बल्कि आलोचना है। बिना नगर निगम की एमआईसी से स्वीकृति लिए पीडब्लूडी द्वारा शुरू की गई इस परियोजना को लेकर अब सवालों की बौछार हो रही है। स्काई वॉक के जिस ढांचे को खड़ा किया गया है, उसने शहर के भविष्य की योजनाओं—जैसे तेलीबांधा से टाटीबंध तक प्रस्तावित फ्लाईओवर—की संभावनाओं पर विराम लगा दिया है।
करोड़ों की फिजूलखर्ची पर उठ रहे सवाल:
अब तक इस परियोजना पर लगभग 60 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, और 38 करोड़ रुपये और झोंकने की तैयारी है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। यहां तक कि भाजपा से जुड़े कई लोग भी इसे “भ्रष्टाचार का प्रतीक” और “पैसों की बर्बादी” बता रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार समरेंद्र शर्मा ने अपने लेख में सीधे सवाल उठाया है – “क्या स्काई वॉक वाकई विकास की ऊँचाई है या केवल व्यर्थ की चढ़ाई?” उन्होंने इस योजना की उपयोगिता, व्यवहारिकता और इसकी वैकल्पिक संभावनाओं पर चार महत्वपूर्ण बिंदुओं में विस्तार से चर्चा की है।
1. क्या रायपुर को वाकई स्काई वॉक की जरूरत थी?
रायपुर में अधिकांश लोग दोपहिया, ऑटो, ई-रिक्शा या निजी वाहनों का उपयोग करते हैं। पैदल चलने वालों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ऐसे लोगों के लिए यह ऊँचाई पर बना ढांचा जरूरी था, जो शायद ही कभी इसका उपयोग करें?
2. जलवायु और व्यवहारिकता की चुनौती
रायपुर की जलवायु—गर्मियों की चिलचिलाती धूप और बरसात—स्काई वॉक के अनुकूल नहीं है। आम लोग धूप और बारिश में सीढ़ियाँ चढ़कर क्यों चलेंगे, जबकि सड़कों पर ही वे अपने साधनों से सफर करते हैं? मॉल या एयरपोर्ट जैसे स्थानों पर एस्केलेटर और एयरकंडीशनिंग होने से लोग ऊपर नीचे जाते हैं, लेकिन रायपुर का स्काई वॉक ऐसी कोई सुविधा नहीं देता।
3. योजना में पारदर्शिता और जनभागीदारी का अभाव
इस परियोजना को बिना पर्याप्त सार्वजनिक चर्चा या ज़मीनी ज़रूरतों की समीक्षा के पास कर दिया गया। आज जब इसकी उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं, तो प्रशासन सिर्फ इसे पूरा करने की जल्दबाज़ी में है। क्या यह सही दिशा में किया गया निवेश है? यह सवाल आज हर जागरूक नागरिक के मन में है।
4. स्काई वॉक का पुनः उपयोग: नई सोच की ज़रूरत
यदि इस ढांचे को तोड़ना अब व्यवहारिक न हो, तो इसे नए रूप में उपयोगी बनाया जा सकता है:
वॉकिंग म्यूज़ियम या स्ट्रीट आर्ट गैलरी:
स्काई वॉक को छत्तीसगढ़ी लोक कला, आदिवासी संस्कृति और ऐतिहासिक थीम पर सजाया जा सकता है, जिससे यह युवाओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने।
ग्रीन वॉकवे / अर्बन गार्डन:
वर्टिकल गार्डन, ऑक्सीजन पथ और पौधों से सजे गलियारे इसे पर्यावरण के लिए हितकारी “ग्रीन ज़ोन” में बदल सकते हैं।
हेरिटेज ट्रेल / रायपुर दर्शन पथ:
इसमें रायपुर और छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, साहित्यिक, और सांस्कृतिक विरासत को दीवारों और कियोस्क के माध्यम से दर्शाया जा सकता है।
लोक प्रदर्शनी स्थल / शिल्प बाजार:
स्थानीय शिल्पकारों और कारीगरों के लिए यह एक अस्थायी बाज़ार का रूप ले सकता है, जिससे आर्थिक उपयोगिता भी सुनिश्चित हो सके।
स्मार्ट सुविधाएँ:
वाई-फाई, सीसीटीवी, सोलर लाइट, मोबाइल चार्जिंग स्टेशन जैसी सुविधाएँ इसे “स्मार्ट वॉकवे” बना सकती हैं।