Putin India Visit: अमेरिका और NATO के विरोध के बीच भारत आएंगे पुतिन, मोदी से रणनीतिक साझेदारी पर होगी चर्चा

Putin Visit India
Putin India Visit: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध और वैश्विक तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल के अंत तक भारत का दौरा करने जा रहे हैं। यह दौरा भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन का हिस्सा होगा, जो 2021 के बाद पहली बार नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। यह मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है जब अमेरिका और NATO लगातार रूस पर दबाव बना रहे हैं और भारत से रूस के साथ रक्षा और ऊर्जा संबंधों पर पुनर्विचार करने को कह रहे हैं।
पुतिन की भारत यात्रा: क्या रहेगा एजेंडा?
राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी, परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार, आर्कटिक क्षेत्र में भारत की भागीदारी और हाई-टेक क्षेत्रों में संयुक्त कार्ययोजना पर प्रमुखता से चर्चा होगी। सम्मेलन के दौरान रूस-भारत के बीच एक नए परमाणु संयंत्र के स्थान को अंतिम रूप दिए जाने की भी संभावना जताई जा रही है।
हाल ही में पुतिन ने यह भी स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह पर रूस ने भारत को उर्वरक आपूर्ति में वृद्धि की थी, जिससे भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिली। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने भी इस सम्मेलन को “बेहद महत्वपूर्ण” बताया और कहा कि तारीखें दोनों देशों के बीच आपसी सहमति से तय होंगी।
अमेरिका और NATO क्यों जता रहे विरोध?
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। बावजूद इसके, भारत ने रूस के साथ न केवल तेल खरीद को जारी रखा है बल्कि रक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी संबंध मजबूत बनाए हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत, रूस से दूरी बनाते हुए सैन्य और उच्च तकनीकी क्षेत्रों में कोई भी समझौता न करे।
वहीं NATO से जुड़े देशों का मानना है कि भारत का रूस के प्रति यह रुख G7 और पश्चिमी देशों की रणनीति को कमजोर करता है। हालांकि भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह अपनी विदेश नीति स्वतंत्र रूप से तय करता है और रूस को एक पुराना, भरोसेमंद साझेदार मानता है।
ऑपरेशन ‘सिंदूर’ से पहले भी हुई थी पुतिन-मोदी बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच आखिरी बातचीत भारत द्वारा किए गए सैन्य ऑपरेशन ‘सिंदूर’ से ठीक पहले हुई थी। इस बातचीत में रूस ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई का समर्थन किया था। इस सैन्य कार्रवाई में रूसी रक्षा प्रणाली S-400 और भारत-रूस की संयुक्त परियोजना ब्रह्मोस ने अहम भूमिका निभाई थी। इन प्रणालियों ने पाकिस्तान की चीन से प्राप्त सैन्य क्षमताओं को काफी हद तक निष्क्रिय कर दिया था।
SCO समिट में हो सकती है एक और मुलाकात
ऐसा भी माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अगर चीन में प्रस्तावित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में भाग लेते हैं, तो वहां भी उनकी और पुतिन की अलग से बैठक हो सकती है। इस मंच पर दोनों नेताओं के बीच सामरिक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी अहम बातचीत संभव है।
पुतिन की यह भारत यात्रा वैश्विक कूटनीति के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है। अमेरिका और NATO के विरोध के बावजूद भारत और रूस के बीच रिश्तों की मजबूती यह दर्शाती है कि नई दिल्ली अपनी विदेश नीति को अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर तय करती है। इस मुलाकात से दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।