शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर राजधानी में प्रदर्शन: पुलिस ने बसों में भरकर भेजा तूता धरना स्थल

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में शुक्रवार को उस समय तनाव का माहौल बन गया जब प्रदेश भर से आए बेरोजगार युवाओं की रोजगार ध्यान आकर्षण रैली को पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोक दिया। युवाओं ने आरोप लगाया कि उन्हें जबरन बसों में भरकर नया रायपुर स्थित तूता धरना स्थल भेजा गया, जिससे उनके लोकतांत्रिक प्रदर्शन के अधिकार का हनन हुआ है।

राजधानी पहुंचे थे हजारों युवा, लेकिन रैली पर रोक

प्रदेश के कोने-कोने से रायपुर पहुंचे हजारों बेरोजगार युवा शिक्षक भर्ती सहित रोजगार से जुड़ी विभिन्न मांगों को लेकर रैली निकालना चाह रहे थे। लेकिन जैसे ही रैली शुरू हुई, पुलिस ने उन्हें रोक दिया और सख्ती बरतते हुए प्रदर्शनकारियों को बसों में ठूंस-ठूंसकर भरकर तूता धरना स्थल पहुंचा दिया। युवाओं का कहना है कि यह सीधे तौर पर उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

शिक्षक भर्ती को लेकर सरकार पर निशाना

प्रदर्शनकारियों का मुख्य मुद्दा शिक्षक भर्ती को लेकर था। युवाओं ने बताया कि राज्य सरकार ने 57,000 शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उनका आरोप है कि सरकार लगातार वादाखिलाफी कर रही है। पहले 57,000 की बात हुई, फिर यह संख्या घटते-घटते 33,000, 16,000 और अब 5,000 तक पहुंच गई है। युवाओं को शंका है कि कहीं यह संख्या घटकर 500 तक न रह जाए।

पुलिस पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप

प्रदर्शन कर रहे बेरोजगार युवाओं ने पुलिस पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जब बीजेपी और कांग्रेस जैसी बड़ी राजनीतिक पार्टियां सड़कों पर प्रदर्शन करती हैं, तो उन्हें रोका नहीं जाता, बल्कि उनकी सुरक्षा में पुलिस बल तैनात कर दिया जाता है। वहीं, आम युवाओं के आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस बल प्रयोग करती है और उन्हें शहर से दूर धरना स्थल भेजकर मुख्यधारा से अलग कर देती है।

सरकार से पारदर्शिता और जल्द कार्रवाई की मांग

युवाओं ने सरकार से स्पष्ट और पारदर्शी तरीके से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हजारों युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है और सरकार सिर्फ आश्वासन देती रही है। अगर जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो यह आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

आंदोलन के संकेत, दबाव में सरकार

बेरोजगार युवाओं ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी मांगें नहीं मानी गईं और भर्ती प्रक्रिया में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे और राजधानी को जाम कर देंगे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ नौकरी की लड़ाई नहीं, बल्कि उनके आत्मसम्मान और भविष्य की लड़ाई है।

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