छत्तीसगढ़ में इस बार 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की तैयारी, उप मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में हुए अहम फैसले

रायपुर: आगामी धान खरीदी सीजन को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं। शुक्रवार को नवा रायपुर स्थित मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित उप मंत्रिमंडलीय समिति की महत्वपूर्ण बैठक में इस बार धान खरीदी का लक्ष्य 160 लाख मीट्रिक टन तक निर्धारित किए जाने पर चर्चा हुई। बैठक में धान खरीदी, उठाव और व्यापारियों को भुगतान जैसे कई अहम मुद्दों पर निर्णय लिए गए।
व्यापारियों को मिलेगा बकाया भुगतान के बदले धान
बैठक के बाद जानकारी देते हुए राज्य के राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने बताया कि वर्तमान में राज्य के पास करीब 33 लाख मीट्रिक टन धान शेष है। जिन व्यापारियों का पूर्व में भुगतान लंबित है, उन्हें उनकी बकाया राशि के बदले यह धान देने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। इससे न केवल व्यापारी संतुष्ट होंगे, बल्कि शेष धान का उठाव भी आसानी से हो जाएगा।
मंत्री वर्मा ने कहा, “व्यापारी उतनी ही मात्रा में धान का उठाव करेंगे, जितना उनका बकाया बनता है। इस कदम से स्टॉक में रखा धान भी व्यवस्थित ढंग से निपट जाएगा और भुगतान की प्रक्रिया भी पारदर्शिता से पूरी होगी।”
खेती का रकबा और किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि छत्तीसगढ़ में हर वर्ष खेती का रकबा बढ़ रहा है और किसानों की संख्या में भी उल्लेखनीय इजाफा हो रहा है। धान की पैदावार में वृद्धि के चलते सरकार को खरीदी की तैयारियों को समय रहते अंजाम देना जरूरी हो गया है।
मंत्री टंकराम वर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का ऐसा राज्य है जहां किसानों को उनकी उपज का सर्वाधिक मूल्य दिया जाता है। राज्य सरकार प्रति एकड़ 21 क्विंटल तक धान की खरीदी करती है, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत है।
बैठक में शामिल हुए ये मंत्री
इस अहम बैठक में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के अलावा स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और खाद्य मंत्री दयालदास बघेल भी शामिल रहे। सभी मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि आगामी खरीदी सीजन के लिए योजनाबद्ध तैयारी से किसानों और व्यापारियों दोनों को लाभ मिलेगा।
छत्तीसगढ़ सरकार इस बार 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का बड़ा लक्ष्य निर्धारित करने जा रही है। इसके लिए उप मंत्रिमंडलीय समिति ने रणनीतिक निर्णय लिए हैं, जिससे न सिर्फ किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि पुराने बकाया भुगतान के समाधान के साथ धान का उठाव भी सुचारु रूप से संपन्न हो सकेगा।