झीरम हमले की बरसी पर कांग्रेस ने दी श्रद्धांजलि, स्मारक की दुर्दशा पर भाजपा से तीखी तकरार

जगदलपुर। झीरम घाटी नक्सली हमले को 12 साल पूरे हो गए, लेकिन बस्तर की दरभा घाटी में हुई इस दर्दनाक घटना की यादें आज भी लोगों के दिलों में ताजा हैं। 25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों ने हमला किया था, जिसमें महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, विद्या चरण शुक्ल सहित 31 लोगों की जान गई थी। इस त्रासदी की बरसी पर रविवार को कांग्रेस नेताओं ने लालबाग स्थित झीरम शहीद मेमोरियल पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

स्मारक की दुर्दशा पर गरमाई सियासत
श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बीच उस वक्त सियासत गरमा गई, जब कांग्रेस ने शहीद मेमोरियल की जर्जर हालत को लेकर भाजपा और नगर निगम पर लापरवाही के आरोप लगाए। जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य ने कहा कि “25 मई 2022 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्मारक का लोकार्पण किया था, लेकिन तीन साल में ही यह टूट-फूट की हालत में पहुंच गया है। दो महीने से मरम्मत की बात की जा रही है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।”

उन्होंने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस नेताओं ने नाराज़गी जताई, तो टूटे हुए हिस्सों को केवल पर्दे से ढक दिया गया। इसे उन्होंने शहीदों का अपमान बताया।

भाजपा का पलटवार – कांग्रेस पर नरमी का आरोप
कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा की ओर से जगदलपुर महापौर संजय पांडे ने पलटवार करते हुए कहा, “जो लोग तिरंगा यात्रा में शामिल नहीं होते, वे आज शहीदों के सम्मान की बात कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार में नक्सलियों को ताकत मिली, लेकिन भाजपा की सरकार बनने के बाद 400 से अधिक नक्सली मारे गए। भाजपा नेता ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह उन नक्सलियों के साथ खड़ी नजर आती है, जिन्होंने उनके ही नेताओं की हत्या की थी।

संजय पांडे ने स्पष्ट किया कि नगर निगम शहीद मेमोरियल की मरम्मत के कार्य में लगा है, लेकिन कांग्रेस इस संवेदनशील विषय पर भी सस्ती राजनीति कर रही है।

पृष्ठभूमि में अब भी कायम है सवाल
झीरम घाटी हमले की 12वीं बरसी ने एक बार फिर सुरक्षा, स्मारक की स्थिति और नक्सलवाद के खिलाफ राजनीतिक इच्छाशक्ति को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर कांग्रेस न्याय और सम्मान की मांग कर रही है, वहीं भाजपा आरोपों को राजनीतिक स्टंट करार दे रही है।

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