Bharatmala Project Scam: भारतमाला प्रोजेक्ट फर्जीवाड़े में निलंबित पटवारी ने की खुदकुशी, सुसाइड नोट में लिखा– ‘मैं निर्दोष हूं’

Bharatmala Project Scam

Bharatmala Project Scam

बिलासपुर। Bharatmala Project Scam: भारतमाला परियोजना में हुए भूमि अधिग्रहण घोटाले में नामजद और निलंबित पटवारी सुरेश मिश्रा ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने बिलासपुर के जोकी गांव स्थित अपनी बहन के फार्म हाउस में फांसी लगाकर जान दे दी। घटनास्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि वे इस घोटाले में शामिल नहीं थे। मिश्रा ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से आरआई, कोटवार और गांव के कुछ अन्य लोगों को गड़बड़ी का जिम्मेदार ठहराया है।

सुरेश मिश्रा पर भारतमाला योजना के तहत हुए फर्जी भूमि अधिग्रहण और नामांतरण में भूमिका को लेकर कुछ दिन पहले FIR दर्ज की गई थी। FIR दर्ज होने के एक दिन बाद ही उन्होंने बहाली की मांग को लेकर कलेक्टर को एक पत्र भी लिखा था। उनका रिटायरमेंट महज चार दिन बाद ही होना था। ऐसे में माना जा रहा है कि मानसिक तनाव और बेइज्जती के डर ने उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर किया।

FIR के बाद बढ़ा तनाव, आत्महत्या की आशंका

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत बिलासपुर-उरगा मार्ग पर ढेंका गांव में भूमि अधिग्रहण और नामांतरण में गड़बड़ी के आरोप सामने आए थे। जांच में सामने आया कि मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर घपला किया गया, जिससे शासन को आर्थिक नुकसान हुआ। इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार डीके उइके और पटवारी सुरेश मिश्रा की संलिप्तता पाई गई थी। प्रशासन ने मिश्रा को 24 जून को निलंबित कर दिया और अगले ही दिन तोरवा थाने में FIR दर्ज कराई गई।

FIR के दो दिन बाद, शुक्रवार को सुरेश मिश्रा ने आत्महत्या कर ली। पुलिस को घटनास्थल से दो पत्र मिले हैं, जिनमें से एक पत्र में उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है और आरोप लगाया कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है।

पुलिस ने शुरू की जांच

पुलिस ने इस मामले में मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सुसाइड नोट की फॉरेंसिक जांच की जाएगी। वहीं, प्रशासन भी इस आत्महत्या को गंभीरता से ले रहा है और पूरे मामले की अलग से समीक्षा की तैयारी की जा रही है।

प्रशासन पर सवाल

यह मामला अब एक प्रशासनिक संवेदनशीलता का विषय बन गया है। चार दिन बाद रिटायर हो रहे एक पटवारी पर FIR दर्ज कर देना और उसकी आत्महत्या से उठ रहे सवालों ने शासन की भूमिका पर भी उंगली उठाई है। क्या इस मामले में जल्दबाजी की गई? क्या उचित तरीके से जांच के बाद कार्रवाई होनी चाहिए थी? ये सवाल अब चर्चा का विषय हैं।

भारतमाला परियोजना से जुड़ी गड़बड़ी

गौरतलब है कि भारतमाला योजना के तहत ढेंका गांव में हुए भू-अर्जन, बंटवारा और नामांतरण में गंभीर गड़बड़ियों की शिकायत हुई थी। शिकायत पर बनी जिला स्तरीय कमेटी ने जांच की तो पता चला कि शासन को करोड़ों का नुकसान हो चुका है और दोषियों की भूमिका भी स्पष्ट हुई। प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई, जिसमें सुरेश मिश्रा और तहसीलदार डीके उइके को नामजद किया गया।

अब पटवारी की आत्महत्या से मामला और भी संवेदनशील हो गया है। इस पूरे घटनाक्रम ने भूमि अधिग्रहण जैसे मामलों में पारदर्शिता और मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता को फिर से रेखांकित किया है।

Youthwings