बीजापुर में बड़ा सरेंडर: पार्टी सदस्य समेत 13 नक्सलियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता, 23 लाख का था इनाम

बीजापुर। छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति और ‘नियत नेल्लानार’ जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं से प्रभावित होकर जिले में एक बार फिर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इस बार कंपनी नंबर 02 के सक्रिय सदस्य समेत कुल 13 माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। इन सभी नक्सलियों पर कुल मिलाकर 23 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
सरेंडर करने वाले सभी माओवादी फोर्स के खिलाफ फायरिंग, आईईडी ब्लास्ट और आगजनी जैसी घटनाओं में शामिल रहे हैं। इनका आत्मसमर्पण बीजापुर में सीआरपीएफ के डीआईजी बीएस नेगी, पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेन्द्र यादव, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यूलेण्डन यार्क, मंयक गुर्जर और उप पुलिस अधीक्षक विनीत साहू की मौजूदगी में हुआ।
सरकार की ओर से आत्मसमर्पण करने वाले सभी 13 नक्सलियों को प्रोत्साहन राशि के रूप में 50-50 हजार रुपये नकद भी प्रदान किए गए। अधिकारियों ने उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने और पुनर्वास नीति का पूरा लाभ उठाने की बात कही।
2025 में अब तक 241 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
राज्य सरकार और सुरक्षा बलों की संयुक्त रणनीति का असर अब साफ नजर आने लगा है। पुलिस आंकड़ों के अनुसार, इस साल यानी 2025 की शुरुआत से अब तक कुल 241 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। इसके अलावा 270 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, अलग-अलग मुठभेड़ों में अब तक 126 माओवादी मारे जा चुके हैं।
सरकार की पुनर्वास नीति के अंतर्गत आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को न सिर्फ आर्थिक सहायता दी जा रही है, बल्कि उन्हें रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे वे समाज में एक बेहतर जीवन शुरू कर सकें।
नक्सल प्रभावित इलाकों में विश्वास की बहाली
बीजापुर जैसे अति नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार हो रहे आत्मसमर्पण यह दर्शाते हैं कि अब आदिवासी और युवा वर्ग नक्सल हिंसा से ऊब चुके हैं। सरकार की योजनाएं और सुरक्षाबलों की कड़ी कार्रवाई ने एक नया भरोसा पैदा किया है। अधिकारियों का मानना है कि आने वाले समय में आत्मसमर्पण की संख्या और बढ़ेगी।