एक नहीं, पूरे 20 वायरस! चीन में चमगादड़ों से फैला नया खतरा

कोरोना वायरस के बाद एक बार फिर चीन से वायरस को लेकर चिंता बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। चीन के युन्नान प्रांत में वैज्ञानिकों को चमगादड़ों के अंदर 20 नए वायरस मिले हैं, जिनमें से दो वायरस निपाह और हेंड्रा वायरस से मिलते-जुलते हैं। ये दोनों वायरस बेहद खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि ये इंसानों के दिमाग में सूजन और सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं।

कहां और कैसे मिला ये वायरस?

ये खुलासा ‘PLOS Pathogens’ नाम की मेडिकल जर्नल में छपी एक रिसर्च रिपोर्ट से हुआ है। रिसर्चर्स ने 2017 से 2021 के बीच युन्नान प्रांत के पांच अलग-अलग इलाकों में 142 चमगादड़ों से किडनी टिशू के सैंपल इकट्ठा किए। जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला कि इन नमूनों में कुल 22 अलग-अलग वायरस मौजूद थे, जिनमें से 20 अब तक विज्ञान के लिए बिल्कुल नए हैं। चिंता का विषय यह है कि इनमें से दो वायरस — युन्नान बैट हेनिपावायरस 1 और 2 — निपाह और हेंड्रा वायरस से काफी हद तक मेल खाते हैं।

क्यों चिंता का विषय हैं ये वायरस?

निपाह और हेंड्रा वायरस दोनों ही जूनोटिक वायरस हैं, यानी ये जानवरों से इंसानों में फैल सकते हैं। निपाह वायरस का पहला प्रकोप 1998-99 में मलेशिया में हुआ था, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इसकी मृत्यु दर 75 प्रतिशत तक हो सकती है। वहीं हेंड्रा वायरस ऑस्ट्रेलिया में पाया गया और यह घोड़ों के जरिए इंसानों में फैला। दोनों वायरस इंसानों में मस्तिष्क में सूजन, सांस लेने में तकलीफ और गंभीर न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें पैदा करते हैं।

किडनी में वायरस मिलने का क्या मतलब है?

स्टडी की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये वायरस चमगादड़ों की किडनी में पाए गए। किडनी का काम यूरिन को शरीर से बाहर निकालना होता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये वायरस चमगादड़ों के पेशाब (यूरिन) के जरिए बाहर निकल सकते हैं। चमगादड़ आमतौर पर बाग-बगिचों और खेतों के आसपास रहते हैं, जहां वे फलों और पानी के स्रोतों पर पेशाब कर सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति या जानवर ऐसे दूषित फल या पानी का सेवन करता है, तो इन वायरसों के संपर्क में आ सकता है।

क्या यह किसी नई महामारी की शुरुआत हो सकती है?

फिलहाल इन वायरसों के कारण किसी प्रकार की महामारी का कोई खतरा नहीं है और न ही इंसानों में संक्रमण का कोई मामला सामने आया है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह स्टडी एक चेतावनी की तरह है, जो दिखाती है कि प्रकृति में अब भी कई ऐसे अज्ञात और खतरनाक वायरस छिपे हुए हैं। साथ ही यह रिसर्च पहली बार इस ओर इशारा करती है कि वायरस पेशाब के जरिए भी इंसानों में फैल सकते हैं — जो अब तक काफी हद तक नजरअंदाज किया गया पहलू था।

 

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