Liquor Scam Case: हाईकोर्ट से कवासी लखमा को बड़ा झटका, जमानत याचिका खारिज

Liquor scam case
Liquor Scam Case: छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले में फंसे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। ईडी और ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के चलते पहले से ही जेल में बंद लखमा की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया है। जस्टिस अरविंद वर्मा की सिंगल बेंच ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत देने से इनकार किया है।
कोर्ट में पेश हुए गंभीर आरोप
लखमा की ओर से दाखिल याचिका में उनके वकील हर्षवर्धन ने तर्क दिया कि उन्हें बिना पर्याप्त साक्ष्य के आरोपी बनाया गया है और गिरफ्तारी भी करीब डेढ़ साल बाद की गई है, जो प्रक्रिया के अनुसार गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि लखमा को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। लेकिन कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने बताया कि ईओडब्ल्यू की चार्जशीट के अनुसार लखमा के बंगले में हर महीने दो करोड़ रुपये कमीशन के रूप में पहुंचते थे। जांच एजेंसी ने लखमा के 27 करीबियों के बयान भी दर्ज किए हैं, जिनसे उनके सीधे शामिल होने की पुष्टि होती है।
अब तक 64 करोड़ की अवैध कमाई का आरोप
ईओडब्ल्यू की जांच में यह खुलासा हुआ है कि कवासी लखमा ने विभागीय अधिकारियों, ठेकेदारों और सहयोगियों के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया। जांच में लखमा द्वारा करीब 64 करोड़ रुपये की अवैध कमाई करने की बात सामने आई है, जिसे व्यक्तिगत और पारिवारिक लाभ के लिए खर्च किया गया। अब तक इस मामले में चार अभियोग पत्र दाखिल किए जा चुके हैं और 13 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
21 जनवरी से जेल में बंद हैं लखमा
लखमा को ईडी ने 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले दो बार उनसे ईडी दफ्तर में पूछताछ हुई थी। गिरफ्तारी के बाद उन्हें 7 दिन की कस्टडी में रखकर पूछताछ की गई और फिर 21 जनवरी से न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पिछली सुनवाई में सुरक्षा बलों की कमी के चलते वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई थी।
क्या है शराब घोटाला?
शराब घोटाले की शुरुआत उस वक्त हुई जब मई 2022 में आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी और अवैध दलाली का जाल फैला है। इसमें रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर का नाम मुख्य आरोपी के रूप में सामने आया, जो कथित रूप से पूरे सिंडिकेट का संचालन करता था।
आरोप है कि भूपेश सरकार के कार्यकाल में आबकारी विभाग की नीतियों में बदलाव कर 2017 में CSMCL के माध्यम से शराब बेचने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन 2019 से अनवर ढेबर और उनके सहयोगियों ने इस व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया। इस घोटाले में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनकी पत्नी और बेटे, सौम्या चौरसिया सहित कई बड़े अधिकारी और कारोबारी शामिल बताए जा रहे हैं।
3200 करोड़ रुपये का घोटाला
ED द्वारा दायर की गई चार्जशीट के अनुसार इस शराब घोटाले से राज्य सरकार को करीब 3200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लखमा के अलावा अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, त्रिलोक सिंह ढिल्लों और कई प्रमुख कारोबारी आरोपियों में शामिल हैं। 30 जून 2025 को दाखिल चार्जशीट से पहले 13 मार्च को भी ईडी ने इस मामले में 3,841 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट अदालत में पेश की थी।
शराब घोटाले में कवासी लखमा की भूमिका को लेकर जांच एजेंसियों द्वारा जुटाए गए साक्ष्य इतने ठोस हैं कि कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। फिलहाल लखमा जेल में बंद हैं और इस मामले की जांच लगातार आगे बढ़ रही है। यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़े भ्रष्टाचार की कहानी बन चुका है, जिसकी आंच अब कई अन्य नेताओं और अधिकारियों तक भी पहुंच सकती है।