इस्तीफे के बाद केपी शर्मा ओली का सामने आया ‘ओपन लेटर’: भारत के खिलाफ नफरत बरकरार, लिखा- “भगवान राम नेपाली थे”

केपी शर्मा

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नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली कहां हैं? यह सवाल इन दिनों नेपाल में चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है। हाल ही में नेपाल में भड़के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने ओली के घर और संसद भवन को आग के हवाले कर दिया, जिसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

राष्ट्रपति ने स्वीकार किया इस्तीफा:

एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने ओली का इस्तीफा स्वीकार किया। साथ ही, इस आंदोलन से जुड़े युवाओं ने घोषणा की कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुषिला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। साथ ही यह भी तय किया गया है कि छह महीनों के भीतर आम चुनाव कराए जाएंगे।

पहली बार सामने आया ओली का ‘ओपन लेटर’

इस्तीफे के बाद केपी शर्मा ओली ने पहली बार एक खुला पत्र लिखा है, जो उन्होंने सीधे Gen-Z यानी युवा पीढ़ी को संबोधित किया है। यह पत्र भावनात्मक बातों से भरा हुआ है और इसमें ओली ने अपनी मौजूदा लोकेशन का भी ज़िक्र किया है।

उन्होंने लिखा, “आज, शिवपुरी में नेपाल सेना के जवानों से घिरे एक सुरक्षित क्षेत्र में बैठा हूं, और आप सभी को याद कर रहा हूं। मैं पिता नहीं बन पाया” –

निजी पीड़ा भी साझा की

अपने पत्र में ओली ने एक गहरी निजी पीड़ा साझा करते हुए लिखा कि राजनीतिक संघर्षों और अत्याचारों के कारण वे पिता नहीं बन पाए। उन्होंने लिखा: “जब मुझे पता चला कि पुलिस की गोलियों ने मेरे बेटों और बेटियों की जान ले ली, उसी दिन मेरी जिंदगी के कई हिस्से खत्म हो गए।” साथ ही, उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जब वे 1994 में गृह मंत्री थे, तो एक भी गोली नहीं चलाई गई थी, क्योंकि वे हमेशा शांति के पक्षधर रहे हैं।

“हिंसा बच्चों ने नहीं की” – युवाओं को बताया निर्दोष

नेपाल में हाल के प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा पर ओली ने लिखा कि उन्हें यकीन है यह हिंसा युवाओं के द्वारा नहीं की गई।

उनका कहना था: “महत्वपूर्ण कार्यालयों में आग लगाना, जेलों से कैदियों को छोड़ना — ये सब योजनाबद्ध साजिशें हैं। ये उस व्यवस्था पर हमला है जिसे हमने संघर्षों और बलिदानों से खड़ा किया था।”

सीमा विवाद और ‘भगवान राम’ पर दोहराया पुराना रुख

पत्र में ओली ने एक बार फिर भारत-नेपाल सीमा विवाद को उठाते हुए कहा: “लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल के ही हैं। अगर मैं यह मुद्दा नहीं उठाता, तो मुझे कई व्यक्तिगत फायदे मिल सकते थे।” उन्होंने ये भी दोहराया कि भगवान राम का जन्म नेपाल में हुआ था, और इसी जिद की वजह से उन्होंने नेपाल का नया नक्शा संयुक्त राष्ट्र को भेजा। “मेरे लिए पद नहीं, व्यवस्था की रक्षा ज़रूरी”

ओली ने पत्र के अंत में कहा: “चाहे मैं पद पर रहूं या नहीं, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता। सबसे ज़रूरी बात है इस लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करना।”

पृष्ठभूमि: ओली बनाम भारत विवाद

केपी शर्मा ओली अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ सीमा विवाद, भगवान राम की जन्मस्थली को लेकर दिए विवादित बयानों और नेपाल के नक्शे में बदलाव को लेकर लगातार चर्चा में रहे हैं। 2020 में भगवान राम को लेकर दिए बयान — कि “राम का जन्म भारत में नहीं बल्कि नेपाल में हुआ था” — को लेकर भारत और नेपाल दोनों जगह भारी विरोध हुआ था।

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