फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र से कर रहे 154 लोग सरकारी नौकरी! सात डिप्टी कलेक्टर, 3 नायब तहसीलदार के नाम भी शामिल

रायपुर: फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। जांच में अब तक 154 ऐसे नाम सामने आए हैं, जिनमें सात डिप्टी कलेक्टर, तीन नायब तहसीलदार और कई अन्य विभागों के कर्मचारी शामिल हैं।
मामले की सुनवाई 20 अगस्त को होगी
करीब दो साल पहले हाईकोर्ट में इस मामले में याचिका दायर की गई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने सभी ऐसे कर्मचारियों की जांच का आदेश दिया, जो दिव्यांग प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी में हैं। जांच के दौरान यह भी कहा गया था कि सभी दिव्यांग प्रमाणपत्रधारियों को मेडिकल बोर्ड से अपनी योग्यता जांचवानी होगी, लेकिन अधिकांश लोग जांच में उपस्थित नहीं हुए। मामले की सुनवाई 20 अगस्त को निर्धारित है।
जांच में प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए
रायपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में की गई जांच में एक व्याख्याता का श्रवण बाधित दिव्यांग प्रमाणपत्र फर्जी निकला। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि उसके दोनों कान सामान्य हैं और वह दिव्यांगता प्रमाण पत्र का पात्र नहीं है।
फर्जी प्रमाणपत्रधारी कई उच्च पदों पर कार्यरत
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष बोहित राम चंद्राकर के नेतृत्व में लंबे समय से इस समस्या पर कानूनी कार्रवाई चल रही है। जांच में 154 लोगों के नाम सामने आए हैं जिनमें सात डिप्टी कलेक्टर, 52 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, 10 व्याख्याता, दो जनपद सीईओ, 10 सब इंजीनियर, 13 उप अभियंता, वित्त विभाग के दो लेखा अधिकारी, सहायक अधिनस्थ लेखा सेवा अधिकारी, सहकारिता निरीक्षक, व्यायाम शिक्षक, अंग्रेजी शिक्षक, प्रयोगशाला सहायक सहित कई अन्य कर्मचारी शामिल हैं।