Israel-Iran Conflict: इजराइल-ईरान युद्ध से आपकी जेब पर संकट! तेल महंगा, शेयर बाजार टूटा, महंगाई बढ़ने की आशंका

रायपुर। मध्य-पूर्व में इजराइल और ईरान के बीच छिड़ी ताज़ा जंग अब सिर्फ कूटनीति या सैन्य सीमाओं तक सीमित नहीं रही, इसका सीधा असर अब भारत समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है। 12 जून को इजराइल द्वारा ईरान के परमाणु और मिसाइल ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद वैश्विक बाज़ारों में भारी उथल-पुथल देखी गई। इसका सबसे बड़ा असर कच्चे तेल की कीमतों और शेयर बाज़ार पर पड़ा है, जिससे आम आदमी की जेब पर भी सीधा असर पड़ सकता है।

क्यों बढ़ गईं तेल की कीमतें?

ईरान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है और यह रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के पास स्थित है। इस इलाके से दुनिया का करीब 20% कच्चा तेल गुजरता है। यदि युद्ध के कारण यह रास्ता बंद होता है या आपूर्ति प्रभावित होती है, तो अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में अफरातफरी मच जाती है। इसी आशंका के चलते तेल की कीमतों में तेज़ उछाल देखने को मिला है।

कितनी बढ़ी हैं कच्चे तेल की कीमतें?

इजराइल के हमले के ठीक बाद ब्रेंट क्रूड की कीमत 10% उछलकर 78 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई। वहीं अमेरिकी डब्ल्यूटीआई क्रूड 74 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। यह उछाल हाल के महीनों में सबसे तेज़ माना जा रहा है।

क्या अब पेट्रोल-डीजल भी महंगे होंगे?

अगर कच्चे तेल की कीमतें यूं ही ऊंची बनी रहीं, तो इसका असर पेट्रोल-डीजल पर पड़ना तय है। तेल कंपनियां बढ़ी हुई लागत को निकालने के लिए खुदरा कीमतें बढ़ा सकती हैं। इसका असर सिर्फ ईंधन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स और आखिरकार रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर भी दिखेगा। यानि महंगाई की एक नई लहर चल सकती है।

शेयर बाजार क्यों गिरा?

महंगाई की आशंका से निवेशकों में घबराहट का माहौल है। कंपनियों की लागत बढ़ने और मुनाफा घटने की चिंता से निवेशक शेयर बेचने लगे हैं। नतीजा – बाजार धड़ाम से गिर गया।

  • बीएसई सेंसेक्स 1% से ज्यादा गिरा,
  • जापान का निक्केई 1.3% टूटा,
  • हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग 0.7% गिरा।

अमेरिका पर भी पड़ेगा असर?

हमले के समय अमेरिकी स्टॉक मार्केट बंद था, लेकिन वॉल स्ट्रीट के फ्यूचर्स में गिरावट के संकेत मिल चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगली ट्रेडिंग में अमेरिकी बाजार भी 1% से अधिक टूट सकता है।

इजराइल ने हमला क्यों किया?

इजराइल ने इस हमले को “प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक” करार दिया है – यानी भविष्य में संभावित खतरे से पहले ही निपटने की रणनीति। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने साफ कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजराइल के अस्तित्व के लिए खतरा है और इसे बनने नहीं दिया जाएगा। इसी वजह से इजराइल ने ईरान के नतांज परमाणु केंद्र, बैलिस्टिक मिसाइल ठिकानों और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया।

अगर युद्ध लंबा चला तो क्या होगा?

अगर यह संघर्ष और आगे बढ़ा और युद्ध लंबा चला, तो इसके वैश्विक प्रभाव बेहद गंभीर होंगे।

  • कच्चे तेल की कीमतें और चढ़ेंगी
  • महंगाई बेकाबू हो सकती है
  • रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होगा
  • शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आ सकती है
  • और रिज़र्व बैंक पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बन सकता है

 

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