IG Sunderraj P on Naxalism: नक्सलियों को IG की दो टूक चेतावनी : बोले – “अब छिपने की कोई जगह नहीं, सरेंडर ही है आखिरी रास्ता”

जगदलपुर। IG Sunderraj P on Naxalism: केंद्र सरकार द्वारा बस्तर जिले को नक्सलमुक्त घोषित किए जाने के बाद अब सुरक्षा एजेंसियों का रुख और सख्त होता जा रहा है। बुधवार को बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने नक्सलियों को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि अब उनके पास समर्पण के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सुरक्षाबलों को टॉप नक्सली लीडरों के ठिकानों की पूरी जानकारी है और जब भी जरूरत पड़ी, निर्णायक ऑपरेशन चलाकर उन्हें खत्म कर दिया जाएगा।
बसवा राजू की मौत ने बदल दिया नक्सलियों का गणित
आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि बसवा राजू जैसे शीर्ष नक्सली नेता की मौत के बाद यह बात नक्सलियों को स्पष्ट हो गई है कि अब वे बस्तर में कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा, “नक्सली जहां भी छिपे होंगे, हमारी फोर्स उन्हें खोज निकालेगी। अगर वे अब भी हथियार नहीं छोड़ते हैं तो मुठभेड़ में मारे जाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि बसवा राजू को जब नक्सली नहीं बचा पाए तो बाकी किसी की जान कैसे बचा पाएंगे? यह घटनाक्रम नक्सल संगठन की कमजोर होती स्थिति का प्रमाण है।
टॉप लीडर्स को चेतावनी : सरेंडर करें या फिर…
आईजी ने बचे हुए नक्सली नेताओं—गणपति, देवजी, सोनू, हिड़मा, सुजाता, के. रामचंद्र रेड्डी और बारसे देवा—को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि अब भी समय है। वे छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करें और मुख्यधारा में लौटकर समाज के निर्माण में भाग लें। नहीं तो उनका अंजाम बसवा राजू से भी भयावह हो सकता है।
नक्सल संगठन हो रहा है बिखराव का शिकार
सुंदरराज पी के मुताबिक, नक्सल संगठन अब अंदरूनी बिखराव और नेतृत्वहीनता से जूझ रहा है। उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। न उनके पास कोई रणनीति बची है, न ही जमीन पर मजबूत नेतृत्व। अब जो शीर्ष नक्सली बचे हैं, वे अंडरग्राउंड होकर अपनी जान बचाने में लगे हैं।
उन्होंने कहा कि संगठन में गहरी अंतर्कलह है और कैडर अब अपने ही नेताओं का साथ छोड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बसवा राजू की मौत के समय देखने को मिला, जब उसकी सुरक्षा में लगे 35 नक्सलियों में से 28 मारे गए और बाकी जान बचाकर भाग खड़े हुए।
तेलुगु कैडर का प्रभाव खत्म
आईजी ने आगे कहा कि पहले जो तेलुगु कैडर स्थानीय नक्सलियों का शोषण करते थे, अब वही स्थानीय कैडर अपने तेलुगु लीडरों को बचाने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हर मुठभेड़ के बाद यह साफ होता जा रहा है कि निचले स्तर का कैडर अब अपने लीडर्स को छोड़कर भाग रहा है। लीडर अब जंगल में अकेले पड़ गए हैं और मारे जा रहे हैं।”
सरकार की सख्ती और फोर्स का दबदबा
सरकार के कड़े रुख और सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई ने बस्तर में नक्सलियों के पैर उखाड़ दिए हैं। बस्तर को एलडब्ल्यूई सूची से बाहर किया जाना इस रणनीति की सफलता का प्रमाण है। अब सुरक्षाबलों का अगला लक्ष्य इन बचे हुए बड़े नक्सल लीडरों को भी खत्म करना है।
आईजी सुंदरराज पी के इस दो टूक संदेश से स्पष्ट है कि अब सरकार और सुरक्षा एजेंसियां नक्सलवाद के समूल उन्मूलन की दिशा में निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी हैं। नक्सलियों के पास या तो आत्मसमर्पण का रास्ता है या फिर मौत का सामना करने की तैयारी।