खाद की कमी पर गरमाया सदन: मंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़ा विपक्ष, गर्भगृह में किया प्रदर्शन, 30 विधायक निलंबित

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन की शुरुआत प्रश्नकाल से हुई, जहां कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने प्रदेश में डीएपी खाद की कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने पूछा कि लक्ष्य के विरुद्ध कितना खाद भंडारित है और केंद्र से कितनी खाद की आपूर्ति होनी है।

एक सप्ताह में खाद कमी को दूर कर लिया जाएगा: मंत्री नेताम

कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने बताया कि 18,850 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की जा रही है और 14 रैक जल्द पहुंचेंगे जिनमें डीएपी, एनपीके सहित अन्य खाद शामिल हैं। मंत्री ने बताया कि सोसायटियों को 60 फीसदी और निजी क्षेत्र को 40 फीसदी खाद दी जा रही है तथा एक सप्ताह में कमी को दूर कर लिया जाएगा। उमेश पटेल ने व्यापारियों द्वारा ऊंचे दामों में खाद बेचने की शिकायतों पर जानकारी मांगी, जिस पर मंत्री ने कहा कि ऐसी शिकायतें प्रदेशभर से मिलती हैं और अमानक खाद बेचने वालों पर कार्रवाई की गई है।

नकली खाद बेचने को लेकर पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक:

खाद की कमी को लेकर सदन में पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय नकली खाद बेचने की शिकायतें नहीं होती थीं। जवाब में भूपेश बघेल ने कहा कि उनके कार्यकाल में नकली यूरिया पर कार्रवाई हुई, जबकि वर्तमान सरकार इस दिशा में लापरवाह है। बहस के बीच सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। कार्यवाही फिर शुरू हुई तो खाद के मुद्दे पर बहस और तेज हो गई। भूपेश बघेल ने पूछा कि अब तक कितना खाद भंडारित हुआ है और क्या निजी क्षेत्रों को खाद देकर कालाबाजारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। मंत्री नेताम ने बताया कि 1.72 लाख मीट्रिक टन खाद प्राप्त हुआ है।

30 विपक्षी विधायकों को सदन से निलंबित:

विवाद और हंगामे के बीच विपक्ष के विधायक गर्भगृह में पहुंचकर नारेबाजी करने लगे। इस पर स्पीकर ने 30 विपक्षी विधायकों को सदन से निलंबित कर दिया। इसके बावजूद वे वेल में पहुंचकर कृषि मंत्री के इस्तीफे की मांग करते रहे। मंत्री नेताम ने कहा कि विपक्षी नेता घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें।

विपक्ष के धरने और नारेबाजी से स्पीकर हुए नाराज:

विपक्ष के धरने और नारेबाजी से स्पीकर नाराज होते हुए कहा -विपक्ष के सदस्यों ने निरंतर और असंसदीय व्यवहार किया, बार – बार आग्रह करने के बाद भी 25 साल की परंपरा है उसको ध्वस्त करने में लगे हुए हैं। यह नुकसान छत्तीसगढ़ का है, छत्तीसगढ़ की संसदीय परंपराओं का है। पूरा देश देखता है कि छत्तीसगढ़ ने क्या मापदंड स्थापित किए है, उस मापदंड की धज्जियां कैसे उड़ाई जा रही है, मेरे आग्रह के बाद भी आप समझने को तैयार नहीं है।

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