Himachal Pradesh Disaster News: अब तक 91 लोगों की मौत, 749 करोड़ का नुकसान, 12 जुलाई तक भारी बारिश का अलर्ट

शिमला। Himachal Pradesh Disaster News: हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून आफत बनकर टूटा है। भारी बारिश, बादल फटना और फ्लैश फ्लड जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने पूरे राज्य में जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 91 लोगों की मौत, 131 लोग घायल और 34 लोग लापता हो चुके हैं।

749 करोड़ की संपत्ति का नुकसान

राज्य सरकार द्वारा जारी आपदा प्रबंधन रिपोर्ट के अनुसार, अब तक हिमाचल प्रदेश को 749 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। इसके अलावा 207 सड़कें बंद, 132 ट्रांसफॉर्मर ठप, 812 पेयजल योजनाएं प्रभावित, और 22385 पशु-पक्षी बाढ़ में बह चुके हैं।

सैकड़ों घर तबाह, गौशालाएं भी क्षतिग्रस्त

भारी बारिश और भूस्खलन के चलते 432 मकान पूरी तरह तबाह हो चुके हैं, जबकि 928 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। इसके साथ ही 880 से ज्यादा गौशालाएं भी इस आपदा की चपेट में आकर बह गई हैं। कई इलाकों में अभी भी बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित है, जिससे स्थानीय लोग दोहरी मार झेल रहे हैं।

राहत और बचाव में आ रही दिक्कतें

राज्य के प्रभावित जिलों में राहत एवं बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन लगातार बारिश के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधाएं आ रही हैं। खासकर मंडी जिले में जलभराव और टूटे संपर्क मार्गों के कारण बचाव दलों को मौके तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

बारिश का सिलसिला रहेगा जारी, अलर्ट जारी

इस आपदा के बीच राज्य में बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 11 और 12 जुलाई को मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों में भारी बारिश हो सकती है। इसके बाद 13 से 16 जुलाई तक ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कुल्लू, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भी तेज से बहुत तेज बारिश का अनुमान जताया गया है।

प्रशासन और जनता दोनों अलर्ट पर

हिमाचल प्रदेश प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बिना आवश्यक कार्य के घरों से बाहर न निकलें, नदियों और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहें। प्रशासन के अनुसार राहत शिविरों की व्यवस्था की जा रही है और पीड़ितों को हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है।

यह आपदा हिमाचल के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है, जिससे उबरने में सरकार और जनता दोनों को समय लगेगा। फिलहाल, राज्य में सावधानी और सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है।

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