नक्सल जांच में शिक्षक का नाम: हाईकोर्ट ने NIA को दी मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जांच की छूट

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में पदस्थ एक शिक्षक द्वारा दाखिल याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। शिक्षक ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि जांच के बहाने उसे नक्सली मामलों में फंसाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज करते हुए एनआईए को मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ की जांच के लिए पूरी छूट दे दी है।
हाईकोर्ट ने कहा – “राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि”:
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। अदालत ने कहा कि छत्तीसगढ़ एक नक्सल प्रभावित राज्य है और राज्य तथा केंद्र सरकार नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिए प्रयासरत हैं। ऐसे में जांच में कोई बाधा उत्पन्न नहीं की जा सकती।
शिक्षक ने लगाए थे धमकी के आरोप:
मानपुर के बाजार पारा स्थित एक प्राइमरी स्कूल में कार्यरत शिक्षक अंगद सिंह सलामे ने एनआईए स्पेशल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि एनआईए ने कई बार बिना सूचना के पूछताछ की और उनकी पत्नी के मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को जब्त कर लिया। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि एनआईए के अधिकारियों ने उनसे एक संदिग्ध नक्सली को सरेंडर कराने का दबाव डाला और ऐसा न करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।
एनआईए ने कोर्ट को बताए ठोस आधार:
एनआईए की ओर से पेश अधिवक्ता बी. गोपा कुमार ने कोर्ट में दलील दी कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और जांच के दौरान मिले साक्ष्य यह संकेत देते हैं कि शिक्षक की नक्सली गतिविधियों में संलिप्तता की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे कई महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं।
कोर्ट ने याचिका को किया खारिज:
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जांच को बाधित करना राष्ट्रहित के विरुद्ध होगा। अदालत ने याचिकाकर्ता के आरोपों को खारिज करते हुए एनआईए को मामले की स्वतंत्र जांच की अनुमति दे दी है।