पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन: अपनी ही पार्टी के खिलाफ उठाई थी आवाज, विवादित बयानों से कई बार मचा राजनीतिक भूचाल

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय जैसे राज्यों के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को निधन हो गया। 79 वर्षीय मलिक ने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दोपहर 1:10 बजे अंतिम सांस ली। वे पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और अस्पताल में उनका इलाज जारी था। उनके निजी सचिव के.एस. राणा ने निधन की पुष्टि की। पूर्व राज्यपाल के निधन की जानकारी उनके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट (X) पर भी साझा की गई। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, सत्यपाल मलिक किडनी से संबंधित समस्याओं से पीड़ित थे।
अनुच्छेद 370 हटने के समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे
सत्यपाल मलिक का नाम राष्ट्रीय राजनीति में तब और अधिक चर्चा में आया जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे और उसी दौरान केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य से हटाकर केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया और मलिक वहाँ पहले उपराज्यपाल बनाए गए।
स्पष्टवादी छवि, कृषि आंदोलन और भ्रष्टाचार पर खुलकर बोले
मलिक अपनी बेबाक राय और साफगोई के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कृषि कानूनों, भ्रष्टाचार और अन्य कई राष्ट्रीय मुद्दों पर खुले मंचों पर अपनी राय रखी, जिससे वे अक्सर सुर्खियों में रहे।
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक और कानून (LLB) की पढ़ाई की। छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति में आने वाले मलिक 1968-69 में छात्र संघ अध्यक्ष बने।
उनका विधिवत राजनीतिक करियर 1974 में शुरू हुआ, जब वे पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद वे 1980 से 1989 तक राज्यसभा सदस्य रहे। 1989 में वे जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए। 1996 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
विभिन्न राजनीतिक दलों से नाता
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर कई दलों के साथ रहा। वे भारतीय क्रांति दल, जनता दल, कांग्रेस, लोकदल, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़ चुके थे। 2012 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
राज्यपाल के रूप में कार्यकाल
बिहार: सितंबर 2017 से अगस्त 2018
ओडिशा (अतिरिक्त प्रभार): मार्च 2018 से अगस्त 2018
जम्मू-कश्मीर: अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019
गोवा: नवंबर 2019 से अगस्त 2020
मेघालय: अगस्त 2020 से अक्टूबर 2022
किसान आंदोलन, पुलवामा हमला और रिश्वत की पेशकश तक दिए बड़े बयान
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक अपने बेबाक और विवादित बयानों के लिए हमेशा चर्चा में रहे। उन्होंने कई मुद्दों पर ऐसी बातें कहीं जो न सिर्फ मीडिया की सुर्खियाँ बनीं, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा गईं। खासकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और केंद्र सरकार पर दिए गए उनके बयानों ने उन्हें सत्ता से दूरी की ओर भी ले गया।
किसान आंदोलन पर बयान से गहराया विवाद
किसान आंदोलन के दौरान सत्यपाल मलिक और बीजेपी के बीच रिश्तों में खटास खुलकर सामने आई। जब वे मेघालय के राज्यपाल थे, उस वक्त उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था — “दिल्ली की सीमाओं पर 700 किसान मर गए। अगर कोई कुत्ता भी मरता है, तो दुख होता है। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में किसानों की मौत पर दिल्ली से एक भी चिट्ठी नहीं आई।” उनका यह बयान पूरे देश में वायरल हुआ और केंद्र सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े हो गए।
पुलवामा हमले को लेकर केंद्र पर उठाए सवाल
सत्यपाल मलिक ने पुलवामा हमले को लेकर भी केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि हमले से पहले सुरक्षा एजेंसियों ने जवानों को एयरलिफ्ट करने की मांग की थी, लेकिन उसे नजरअंदाज किया गया। उन्होंने साफ तौर पर कहा,
“हमारी तरफ से चूक हुई और इसी वजह से हमला हुआ।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि बीजेपी ने इस हमले का इस्तेमाल चुनावों में राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया।
रिश्वत की पेशकश का खुलासा
17 अक्टूबर 2021 को राजस्थान के झुंझुनू में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए उन्हें करोड़ों रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। उन्होंने बताया कि उनके पास दो फाइलें भेजी गई थीं — पहली एक बड़े उद्योगपति से जुड़ी थी, दूसरी उस समय की गठबंधन सरकार में शामिल महबूबा मुफ्ती और बीजेपी के एक मंत्री से जुड़ी थी। मलिक ने कहा कि उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया और मामले को तत्काल प्रभाव से रोक दिया।