तेंदूपत्ता गड़बड़ी मामले में वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, 11 कर्मचारी गिरफ्तार

सुकमा : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में वन विभाग ने तेंदूपत्ता (तेंगड़ी) संग्राहकों को राशि वितरण में हुए बड़े घोटाले के संबंध में बड़ी कार्रवाई की है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण विभाग (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की संयुक्त टीम ने चार वन कर्मियों और सात समिति प्रबंधकों को गिरफ्तार किया है। सभी आरोपियों को दंतेवाड़ा जिला न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।
साय सरकार और मंत्री केदार कश्यप का किया आभार व्यक्त:
जिला पंचायत सदस्य हुंगाराम मरकाम ने मुख्यमंत्री साय सरकार और वन मंत्री केदार कश्यप की इस कार्रवाई की सराहना करते हुए बताया कि सुकमा वनमंडल अंतर्गत कोंटा, किस्टाराम और गोलापल्ली वन क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्राहकों को दो साल की बोनस राशि में केवल एक वर्ष का, वह भी आंशिक भुगतान किया गया था। कुछ फर्जी नामों पर राशि आवंटित की गई थी, जिनमें कई ऐसे लोग भी शामिल थे जिनकी मृत्यु पहले ही हो चुकी थी।
आठ माह तक नहीं किया गया भुगतान :
मरकाम ने आगे कहा कि वर्ष 2021 में 15 समितियों एवं 2022 में 10 समितियों को लगभग ₹6.54 करोड़ की राशि मिली थी, जो 66 हजार संग्राहकों में बांटी जानी थी। लेकिन अप्रैल में ही यह राशि उठा ली गई और आठ माह तक भुगतान नहीं किया गया। अधिकारी नक्सलवाद और संवेदनशीलता का हवाला देकर ₹3.62 करोड़ की राशि नकद वितरित करने की विशेष अनुमति लेकर बैठ गए।
वनमंडलाधिकारी सुकमा निलंबित :
इस विवाद के बाद वनमंडलाधिकारी सुकमा को निलंबित कर दिया गया और प्रबंधन समिति के 11 प्रबंधकों को कार्यमुक्त कर संचालक मंडल भंग कर दिया गया है। अधीनस्थ नोडल अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। मरकाम ने मंत्री केदार कश्यप से यह अनुरोध किया है कि असल में कितने संग्राहकों को राशि नहीं मिली, इसकी छानबीन कर उपयुक्त कार्रवाई की जाए।
मरकाम ने विपक्षी दल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्ष 2018–2023 तक भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद कांग्रेस नेताओं ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि कांग्रेस नेता चरणदास महंत द्वारा हाल ही में आरोप लगाना ‘घड़ियाली आंसू बहाने जैसा’ है।