गुंडागर्दी, वसूली और नशे का कारोबार… रायपुर में क्यों बढ़ रही महिला हिस्ट्रीशीटरों की दहशत?

रायपुर: राजधानी रायपुर अपराध जगत में महिला अपराधियों का बोलबाला कोई नई बात नहीं है। कभी रेलवे स्टेशन इलाके में अक्का बाई का सिक्का चलता था, तो आज नव्या मालिक जैसी महिलाएं ड्रग्स सिंडिकेट तक से जुड़ी मिली हैं। वृद्धि साहू, पूजा और मोनिका सचदेव, मुस्कान रात्रे जैसी कुख्यात महिलाएं खुलेआम हत्या, नशा, वसूली और गुंडागर्दी में लिप्त हैं। सवाल उठता है कि आखिर छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस इन पर अंकुश लगाने में नाकाम क्यों है?
पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज, पर सड़कों पर बेखौफ
रायपुर पुलिस के हिस्ट्रीशीटर रिकॉर्ड में कई महिला अपराधियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन ये महिलाएं खुलेआम हथियार लहराती हैं, वीडियो वायरल करती हैं और सूदखोरी व नशे के कारोबार में बेखौफ घूमती हैं। पुलिस कार्रवाई के दावे सिर्फ बयानबाजी तक सिमटकर रह जाते हैं।
मुस्कान रात्रे: जिलाबदर के बाद भी गुंडागर्दी
मौदहापारा की कुख्यात मुस्कान रात्रे का जिलाबदर हो चुका है, लेकिन उसकी गुंडागर्दी जारी है। चाकू लहराकर डराना, मारपीट और वसूली उसका रोज़ का काम है। हाल ही में उसका वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ युवकों ने उसकी पिटाई की, लेकिन सवाल यह है कि पुलिस उसे रोकने में अब तक क्यों असफल है?
अक्का बाई से लेकर “मिस बच्ची” तक का खौफ
करीब 30 साल पहले अक्का बाई का खौफ था, आज “मिस बच्ची” जैसे नाम से बदनाम महिलाएं नाबालिग होते हुए भी हथियारबंद गैंग बनाकर वसूली और हत्या तक को अंजाम दे रही हैं। स्कूटी पर रास्ता न देने की मामूली बात पर हत्या तक कर देना बताता है कि अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हैं।
सचदेव बहनों का नशे का साम्राज्य
कोतवाली और सिविल लाइन इलाके में मोनिका और पूजा सचदेव का साम्राज्य पुलिस और सरकार की नाकामी का जीता-जागता सबूत है। हत्या जैसे मामलों में जेल गईं, लेकिन जेल से छूटते ही फिर नशे का नेटवर्क खड़ा कर लिया। आखिर पुलिस की पकड़ इतनी कमजोर क्यों है कि ये अपराधी बार-बार संगठित हो जाते हैं?
वृद्धि साहू: सोशल मीडिया की लेडी डॉन
वृद्धि साहू नशे और गुंडागर्दी की दुनिया में “लेडी डॉन” कहलाती है। उसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं, जिनमें वह हुक्का पीते, चाकू लहराते और धमकी देती नजर आती है। दो बार जेल जा चुकी वृद्धि के खिलाफ कार्रवाई क्यों बेअसर रही?
सरकार और पुलिस पर सवाल
रायपुर SSP लाल उम्मेद सिंह कहते हैं कि “पुरुष हो या महिला, सभी पर कार्रवाई हो रही है”, लेकिन हकीकत कुछ और बयां करती है। अपराधियों के वीडियो वायरल होने तक पुलिस सोती रहती है और जनता डर के साए में जीती है। नशे के कारोबारी और सूदखोर खुलेआम सक्रिय हैं।
यह साफ है कि छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस दोनों ही महिला अपराधियों के बढ़ते साम्राज्य को रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं। सवाल ये है कि क्या कार्रवाई सिर्फ कागजों में होती रहेगी या रायपुर की सड़कों से इन “लेडी डॉनों” का खौफ खत्म होगा?