बिहार के बाद अब बंगाल में भी SIR! वोटर वेरिफिकेशन का आदेश जारी

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस संबंध में आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं कि सभी निर्वाचन अधिकारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करें।
इस बीच, बिहार में यह प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। राज्य में 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की गई है। इस पुनरीक्षण प्रक्रिया के बाद राज्य में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाएंगे। इनमें से अधिकांश वे हैं, जो अब जीवित नहीं हैं या स्थायी रूप से किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित हो चुके हैं। कुछ ऐसे नाम भी सूची से हटेंगे जो एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत थे।
हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया पर विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह कार्रवाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर की जा रही है और इसे “वोटों की चोरी” की रणनीति करार दिया गया है।
बिहार में SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है। दिलचस्प बात यह है कि अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस प्रक्रिया पर कोई औपचारिक आपत्ति या सुझाव नहीं दिया है। दूसरी ओर, आम नागरिकों ने इसमें सक्रिय भागीदारी दिखाई है। निर्वाचन आयोग को अब तक 1,927 शिकायतें और 10,977 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो नए वोटरों को जोड़ने, गलत नाम हटाने और अन्य सुधारों से संबंधित हैं।
यह स्पष्ट संकेत है कि जहां राजनीतिक दल इस प्रक्रिया में निष्क्रिय रहे हैं, वहीं आम जनता ने मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने में अहम भूमिका निभाई है। विशेषज्ञों के अनुसार, विपक्षी दलों के लगभग 60,000 बूथ लेवल एजेंट शायद अभी तक सूची में गड़बड़ियों की पहचान नहीं कर पाए हैं।
चुनाव आयोग ने सभी दलों और नागरिकों से अपील की है कि वे मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने में सहयोग करें। आयोग ने भरोसा दिलाया है कि सूची को अंतिम रूप देने से पहले सभी पक्षों को पर्याप्त समय और अवसर प्रदान किया जाएगा।